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इंश्योरेंस को लेकर मोदी सरकार ला रही है नया कानून, जानिए आपकी पॉलिसी पर क्या होगा असर?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज राज्य सभा में इंश्योरेंस (संशोधन) बिल 2021 पेश करने वाली हैं. इस बिल के जरिए केंद्र सरकार देश के इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करने का प्रस्ताव लेकर आ रही है. वित्त मंत्री ने सोमवार को इस बिल को राज्य सभा के पटल पर रखा था ताकि इंश्योरेंस एक्ट, 1938 को संशोधित किया जा सकेगा. पिछले सप्ताह ही केंद्रीय कैबिनेट ने इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल 2021 को मंजूरी दी थी. मौजूदा नियमों के मुताबि​क, देश के लाइफ और जनरल इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 49 फीसदी तक है. यह लिमिट इन कंपनियों के मालिकाना और प्रबंधन के लिए है.

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश करने के लिए निर्मला सीतारमण ने इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था. उस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करेगी.

नये स्ट्रक्चर के तहत इंश्योरेंस कंपनियों के बोर्ड के अधिकरत निदेशक और मैनेजमेंट के प्रमुख लोग भारतीय ही होंगे. साथ ही कम से कम 50 फीसदी स्वतंत्र निदेशक भी भारतीय ही होंगे. इन कंपनियों के मुनाफे का एक तय हिस्सा जनरल रिज़र्व के तौर पर रखा जाएगा.

जानकारों का मानना है कि इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई लिमिट बढ़ाने के फैसले से देश में विदेशी पूंजी आ सकेगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इंश्योरेंस की पहुंच होगी.

भारतीय लोगों की जरूरत के हिसाब और किफयाती दर पर इंश्योरेंस मिल सकेगा. पहली बार करीब दो दशक पहले केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए इंश्योरेंस सेक्टर को खोला था. साल 2000 में एफडीआई को 26 फीसदी रखा गया था.

सरकार के इस फैसले से इंश्योरेंस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. इंश्योरेंस कंपनियां इस फैसले के बाद अधिक से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने पर जोर देंगी और साथ ही अपने प्रोडक्ट के इनोवेशन को भी बढ़ावा देंगी.

कहा जा रहा है कि एफडीआई बढ़ने के बाद इंश्योरेंस कंपनियों में फ्रेश पूंजी भी आ सकेगी. ये कंपनियां अपनी मौजूदा प्रोमोटर्स की ओर से लिमिटेड फंड की समस्या से जूझ रही हैं.

पॉलिसी खरीदने वालों को क्या फायद होगा?

1. ग्राहकों के लिहाज से देखें तो इंश्योरेंस सेक्टर में मौजूदा समय से अधिक पूूंजी आएगी. इससे अधिक से अधिक लोगों तक इंश्योरेंस मुहैया कराने में मदद मिलेगी. प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो ग्राहकों को कम खर्च में ही बेहतर बीमा कवर मिल सकेगा.

2. इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ने के बाद ज्वॉइंट वेंचर में विदेशी कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगी. साथ ही, मौजूदा निवेशकों को इससे बाहर निकलने के लिए बेहतर दाम मिल सकेगा. इसके अलावा नये निवेशकों के प्रोत्साहन को बढ़ावा मिल सकेगा.

3. इस सेक्टर में एफडीआई बढ़ने के बाद देश के बाहर से भी इस सेक्टर के लिए पूंजी आएगी. इससे बीमा सेक्टर को बूम मिलेगा.

हालां​कि, जानकारों का यह भी कहना है कि इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई लिमिट बढ़ाने के बाद इसके असर में समय लग सकता है. विदेशी निवेशक शुरुआत में कुछ हद तक सतर्क नजर आ सकते हैं. बहुत हद तक यह स्थिति इस बात पर भी निर्भर करेगी कि इसके लिए सरकार की नियम व शर्तें क्या होती हैं.

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