अच्छा ही हुआ जो मोदी सरकार ने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी की। पिछले कुछ वर्षो में जिस तरह से सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफाॅर्म का अराजक तत्वांे द्वारा देश को तोड़ने, जनता को आपस में लड़ाने, झूठी खबरें फैला कर देश में दंगा फंसाद, अश्लीलता फैलाने आदि के लिए दुरूपयोग किया जा रहा था, उसको देखते हुए सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म पर कानून बनाकर नियंत्रण करना बेहद जरूरी हो गया था,हो सकता है कि मोदी विरोधी खेमा इस पर हो-हल्ला मचाए और इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात बता कर धरना-प्रदर्शन करें। मगर सच्चाई यही है कि देशहित में लगातार अनियंत्रित होते जा रहे सोशल मीडिया पर लगाम लगाया जाना बेहद जरूरी हो गया था। यह बात मोदी सरकार ही नहीं सुप्रीम कोर्ट भी समझ रही थी,जिसकी पहल पर ही उक्त कानून साकार रूप ले पाया।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने नये कानून की वकालत करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का व्यापार करने के लिए स्वागत है। सरकार आलोचना के लिए तैयार है, लेकिन सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी शिकायत का भी फोरम मिलना चाहिए। इसका दुरुपयोग रोकना जरूरी है। रविशंकर प्रसाद का कहना था कि भारत में व्हाट्सएप के 53 करोड़, फेसबुक के 40 करोड़ से अधिक और ट्विटर पर एक करोड़ से अधिक यूजर्स हैं। भारत में इनका काफी इस्तेमाल होता है, लेकिन जो चिंताएं हैं उसे लेकर काम करना जरूरी है।
गौरतलब हो, ओटीटी प्लेटफॉर्म की सीरीज में बेवजह गालियां ठूंसी जा रही हैं। संवादों में संबोधन और विशेषण के लिए गालियों का चलन हो गया है। लॉकडाउन में मनोरंजन के प्लेटफॉर्म के तौर पर ओटीटी का चलन बढ़ा था तो इसमे व्याप्त खामियां भी सामने आई। पिछले कुछ सालों से भारत में सक्रिय विदेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑरिजिनल सीरीज लाकर भारतीय हिंदी दर्शकों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें बड़ी कामयाबी अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के निर्देशन में आई ‘सेक्रेड गेम्स’ से मिली। इस वेब सीरीज के प्रसारण के समय से ही यह सवाल सुगबुगाने लगा था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को स्वच्छंद छोड़ना ठीक है क्या? इस वेब सीरीज में प्रदर्शित हिंसा, सेक्स और गाली-गलौज पर काफी दर्शकों ने आपत्ति भी जताई थी। दर्शकों की राय के बाद ही वेब सीरीज पर अंकुश लगाना जरूरी माना जा रहा था।