लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने प्रधानमंत्री केयर फंड द्वारा खरीदे गए वेंटिलेटर की पारदर्शिता पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में प्रधानमंत्री के PM care fund द्वारा अपर्याप्त मात्रा में वेंटिलेटर कुछ बोगस कंपनियों को भी वेंटिलेटर बनाने का ठेका दिया गया जिन्हें वेंटिलेटर बनाने का कोई अनुभव नहीं था. पीएम केयर्स से खरीदे वेन्टीलेटर्स घटिया क्वालिटी के हैं सिंह ने कहा उन्होंने आपका पैसा भी ले लिया और जान भी ले ली मेक इन इंडिया के नाम पर हुई क्रूरता है.
Ventilator जान बचाने के बजाए जान ले रहा है. इस महामारी में जान गवां रही जनता को लूटने का काम चल रहा है सिंह ने आरोप लगाया है की दान में मिले फंड से 2000 करोड़ में कुछ वेंटिलेटर खरीदे गए और देश भर के अस्पतालों में भेजे गए ताकि बीमार लोगों की जान ली जा सके. इन वेंटिलेटर के भोपाल के हमीदिया अस्पताल को 40 वेंटिलेटर दिए गए थे जो खराब है.
मध्य प्रदेश के सागर जिले के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पीएम केयर्स फंड से मिले वेंटिलेटर में शॉर्ट सर्किट हो गया. कागजों के हिसाब से यहां 72 वेंटिलेटर हैं, जो खराब है छत्तीसगढ़ के बालोद जिला अस्पताल को 6 वेंटलेटर मिले थे, उनमें दो लगाए गए हैंपीएम केयर्स फंड से 80 वेंटिलेटर फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज में भेजे गए थे. इनमें से 71 खराब हैं.
नासिक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को पीएम केयर्स फंड से 60 वेंटिलेटर मिले थे. ये वेंटिलेटर किसी काम के नहीं है. प्रशासन का कहना है कि वेंटिलेटर के आधे अधूरे पार्ट भेजे गए झारखंड के हजारीबाग में भेजे गए 38 में से 35 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं. राजस्थान के जालोर जिला अस्पताल में बंद पड़े 13 नए वेंटिलेटर पर बीजेपी विधायक नाराज है. दस मई को उन्होंने ट्वीट किया, “मेरी सारी ताकत और समझ काम में ले कर थक गया। नतीजा शून्यभीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में 25 वेंटिलेटर भेजे गए थे लेकिन 9 मई तक वे चादर के नीचे सुरक्षित रखे हुए अंडे दे रहे थे कानपुर के हैलट अस्पताल में 55 वेंटिलेटर बंद पड़े हैं.
उनमें तकनीकी गड़बड़ी है. कंपनी के इंजीनियरों ने ही इसे ठीक करने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. सुनील सिंह ने कहा पीएम केयर्स फंड से पूरे देश में जहां भी वेंटिलेटर भेजे गए हैं, सब जगह से यही शिकायतें हैं यह शिकायतें किसी और पार्टी के नहीं बीजेपी पार्टी के ही लोग शिकायत कर रहे हैं,कि या तो चालू ही नहीं हुए, या पड़े सड़ रहे हैं या फिर उन्हें चलाने वाला कोई नहीं है. जनता के पैसे से जनता की जान बचाने का स्वांग किया गया लेकिन असल में सरकार ने पैसा भी ले लिया और जान भी ले ली।