उत्तराखंड की शांत वादियों में इन दिनों सांप्रदायिकता का शोर है। पिछले करीब 20 दिन से उत्तरकाशी में टेंशन बरकरार है। एक हिंदू नाबालिग लड़की को भगाने की कोशिश के बाद उपजा विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है।
हिंदूवादी संगठनों की ओर से दी गई धमकी के बाद उत्तरकाशी के पुरोला में जहां मुसलमानों की दुकानें बंद हैं तो कई लोग पलायन कर चुके हैं। इस बीच दोनों तरफ से मुद्दे को तूल देने की कोशिश भी चल रही है।
विहिप और बजरंग दल ने 15 जून को महापंचायत का ऐलान किया है तो मुस्लिम समुदाय भी 18 जून को जवाबी महापंचायत की तैयारी में है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने महापंचायत की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन ने 15 जून को पुरोला में धारा 144 लागू करने की बात कही है। सुरक्षा के लिए पीएसी की एक कंपनी भी बुलाई गई है।
इस बीच पंचायत संगठन की ओर से पुरोला में महापंचायत का ऐलान कर दिया गया, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। यह संगठन अब बैकफुट पर आ गया। इसी बीच मंगलवार को पुरोला में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर 15 जून को महापंचायत कराने का ऐलान कर दिया।
विश्व हिंदू परिषद के ब्लॉक अध्यक्ष बिरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि पुरोला में 15 जून को शांतिपूर्ण महापंचायत को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। सभी संगठनों से सहयोग की अपील की गई है। इसमें प्रदेश बजरंग दल के संयोजक अनुज वालिया समेत देहरादून और हरिद्वार से कुछ संतों के भी आने की संभावना है। उधर, देहरादून में मुस्लिम समुदाय ने भी 18 जून को महापंचायत की है।
उत्तरकाशी के पुरोला में 26 मई को हिंदू समुदाय की एक नाबालिग लड़की को भगाने के प्रयास का मामला सामने आया। आरोपी मुस्लिम समुदाय से थे। इसके बाद तनाव उस वक्त बढ़ गया जब मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें छोड़ने की चेतावनी दी गई।
उनकी दुकानों पर धमकी भरे पोस्टर चिपका दिए गए। डर के माहौल में तब से ही मुसलमानों की दुकानें बंद हैं। अब तक करीब 12 व्यापारी पलायन भी कर चुके हैं, जिनमें बीजेपी के अल्पसंख्यक नेता भी शामिल हैं।स्थानीय प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी दुकानें नहीं खुल पाई हैं।