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नाग मंदिर: जिसने भी यहां की छत डालने कोशिश, मिली मौत

भारत को सोने की चिड़िया के साथ ही चमत्कारों का भी देश कहा जाता है। रामायण और महाभारत काल से लेकर इस आधुनिक काल में यहां तरह-तरह की रहस्य्मयी घटनाएं आज भी घटित होती रहती हैं। यही कारण है कि यहां मौजूद मंदिर और शिवालय लोगों में आस्था के साथ-साथ कौतूहल का विषय बने हुए हैं।

औरैया जिले के दिबियापुर के निकट स्थित ऐतिहासिक गांव सेहुद के टीले पर स्थापित धौरा नाग मंदिर धार्मिक के साथ ही एक किवदंती पर टिका हुआ है। नाग देवता के इस मंदिर की औरैया समेत आसपास के जनपदों में बड़ी प्रसिद्धि है। उक्त मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जिस किसी ने इस मंदिर पर छत डालने की कोशिश की उसकी मौत हुई या उसे बड़े अनिष्ट का सामना करना पड़ा। नतीजतन आज तक मंदिर पर छत नहीं डाली जा सकी। इस मंदिर में मौजूद देवी देवताओं की भग्न मूर्तियों के ढेर को पूजा जाता है। लोगों की मान्यता है कि साक्षात नाग देवता मंदिर परिसर में बात करते हैं और वह यदा-कदा लोगों को दर्शन भी देते रहते हैं।

मंदिर में छत न होना जितना हैरान कर देने वाली बात है, इसकी सच्चाई और भी भयानक। कहते है, मंदिर में जिसने भी छत डलवाने की कोशिश की छत तो गिर ही जाती है साथ ही साथ छत डलवाने वाले की मौत या उसका बड़ा अनिष्ट हो जाता है। लोगों का कहना है कि गांव के ही एक इंजीनियर, जो लखनऊ में काम करते थे। इस मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की तो उनके घर में 2 लोगों की मौत हो गयी। छत तो दूर इस मंदिर से कोई सामान तक नहीं ले जा सकता है।

धौरा नाग मंदिर की सिर्फ यही खूबी इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है। यहां नागपंचमी के दिन आसपास के जनपदों से आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है। दो दिन तक यहां मेला चलता है। मेले में धनुष भंग, दंगल आदि का भी आयोजन होता है, पर इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हर साल होने वाला आयोजन नहीं होगी। केवल सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्रद्धालु मंदिर में दर्शन पूजा कर सकेंगे।

मंदिर की प्राचीनता के साथ यहां घटने वाली घटनाएं भी दिल को दहलाने वाली होती हैं। इस मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तिया पड़ी है। जो 11वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों के तोड़-फोड़ के सच को बयां करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मंदिर कितना प्राचीन है।

इस गांव में रहने वाले पूर्व प्रधानाचार्य धीरेन्द्र तिवारी बताते हैं कि इतिहास के अनुसार धौरा नाग मंदिर के साथ 200 से अधिक कुए गांव में मौजूद थे। जिन पर प्रकाश के लिए रात्रि में टोंटे जला करते थे। महमूद गजनबी ने जब सेहुद पर आक्रमण किया तो धारा नाग मंदिर व इन्हीं कुओं से निकले लाखों बर्रों ने महमूद गजनबी की सेना पर धावा बोलकर उसे वापस लौटने को मजबूर कर दिया था। गांव में आज भी तमाम पुराने कुएं मौजूद हैं। करीब 10 साल पहले टीले की खुदाई में एक लाल पत्थर का करीब 5 क्विंटल का नादिया क्षतिग्रस्त मिला था जो आज भी गांव के पीछे पड़ा है।

रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर

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