नई दिल्ली। नेशनल इंडिपेन्टेन्ड स्कूल्स एलायन्स (नीसा) ने आज राष्ट्रीय स्तर पर 51 दिनों तक चलने वाले शिक्षा बचाओं अभियान की शुरूआत की। आज ऑनलाइन शुरू हुए इस अभियान का समापन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर को होगा। वेबिनार में बोलते हुए देश के प्रसिद्ध लेखक एवं शिक्षाविद् गुरूचरण दास ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार स्कूलों को फंडिंग करने की बजाय सीधे बच्चों को फंडिंग करें। इसके लिए सरकार को अति शीघ्र डायरेक्ट बेनिफिट् ट्रांसफर के माध्यम से स्कूल वाउचर सिस्टम को सारे देश में लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर के बच्चों को अच्छे स्कूलों में अच्छे शिक्षकों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने का यही एक मात्र विकल्प भी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के आपदा के वर्तमान समय में जिस तरह से हमारे शिक्षकों ने देश भर में शिक्षा को बचाने की चुनौती को स्वीकार करते हुए बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाये, कम होगी। आज उदघाटन सत्र की अध्यक्षता नीसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने की। फेसबुक, यू-ट्यूब और जूम के माध्यम से लगभग 18 हजार अभिभावक, शिक्षक एवं स्कूल संचालक इस वेबिनार में शामिल हुए।
स्कूलों को नहीं, बल्कि अभिभावकों को फंडिंग करने की उठी मांग
इस ऑनलाइन आयोजित सत्र में सभी वक्ताओं का कहना था कि कोविड-19 के कारण अभिभावकों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों की फीस स्कूलों को नहीं दे पा रहे है, और जिसका परिणाम यह हो रहा है कि स्कूल भी आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अब अपने शिक्षकों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में इसका सबसे खराब असर देश के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रही है। जिसको बचाने के लिए सरकार को आगे आकर बच्चों को फंडिंग करनी चाहिए।
नीसा के तत्वाधान में आयोजित इस ऑनलाइन वेबिनार में पूर्वांचल स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, दीपक मधोक, एजुकेशन वल्र्ड के संस्थापक एवं मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप ठकोर, ECOSOC ((UN) के ग्लोबल इकोनाॅमिस्ट फोरम के सीनियर वाइस प्रेसीडेन्ट एवं ग्लोबल चैम्बर ऑफ स्पोर्टस, एजूकेशन एण्ड कल्चर के डायरेक्टर रिटायर्ड मेजर जनरल दिलवर सिंह के साथ ही शिक्षा जगत से जुड़ी हुई कई अन्य जानी-मानी हस्तियों ने भी सम्बोधित किया।
नीसा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार वसुधैव कुटुम्बकम् की नीति का पालन करते हुए देश के सभी बच्चों के साथ समानता का व्यवहार करते हुए उन्हें एकसमान और गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रति बच्चा 50 हजार रूपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से दे ताकि देश का हर बच्चा अपनी पसंद के स्कूल का चयन कर सके और उसे शिक्षा के अधिकार की जगह गुणात्मक शिक्षा का अधिकार मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की व्यवस्था लागू करती है तो देश में 1.5 करोड़ शिक्षकों को भी कम से कम 25 से 30 हजार वेतन मिल पायेगा। साथ ही साथ देश में गुणात्मक शिक्षा के लिए स्कूलों में प्रतिस्पर्धा भी होगी और जिसका लाभ अन्ततः देश के प्रत्येक बच्चे को मिलेगा।
वेबिनार के अन्त में उन्होंने देश के सभी अभिभावकों एवं शिक्षकों से अपील की कि वे मिलकर देश के बच्चों को उनका गुणात्मक शिक्षा प्राप्त करने का हक दिलाने के लिए शिक्षा बचाओं अभियान का समर्थन करें और मिलकर पुरजोर तरीके से इस अभियान में भाग लें।