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अबकी बार यूपी देगा राष्ट्रपति !

लखनऊ. राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एनडीए की ओर से रामनाथ कोविंद को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद उत्तर प्रदेश के भाजपाईयों में खुशी की लहर है। कोविंद भले ही इस समय बिहार के राज्यपाल हों, लेकिन उत्तर प्रदेश का निवासी होने के कारण नेता-कार्यकर्ता सहित स्थानीय लोग भाजपा नेतृत्व के इस फैसले से बेहद खुश हैं।

बेहद सादगी से जीवन गुजारने वाले कोविद कार्यकर्ताओं के बीच हमेशा से ही बेहद लोकप्रिय रहे हैं। अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो उत्तर प्रदेश के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण पल होगा। देश की सियासत में अब तक ज्यादातर प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश पहली बार देश को राष्ट्रपति भी देगा। यह संयोग भी पहली बार होगा, जब देश का राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश का निवासी होगा तथा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी उत्तर प्रदेश से लोकसभा सदस्य होंगे।

कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में जन्मे रामनाथ कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद भाजपा नेतृत्व के सम्पर्क में आए।कोविंद को पार्टी ने वर्ष 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। राज्यसभा सदस्य के रूप में उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए बेहद काम किया और लोगों के लिए बेहद सुलभ रहे। वर्ष 2007 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह यह चुनाव भी हार गए। हालांकि इसके बाद भी पार्टी में उनका प्रभाव कम नहीं हुआ। इसके बाद रामनाथ कोविंद को जब वर्ष 2015 में बिहार का राज्यपाल बनाने का फैसला लिया गया था, तब वह भाजपा के प्रदेश महामंत्री थे।

परौख गांव में 1945 में जन्मे रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीेएवी कॉलेज से बी कॉॅम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर वह वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे थे। जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया। रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। वह परौख गांव में अपना पैतृक मकान बारातशाला के रूप में दान तक कर चुके हैं। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है।

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