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कल से नवरात्रि शुरु शहर से लेकर गांव मंदिर और पंडाल होंगे गुलजार

• सुबह से शाम तक मां के दरबार में रहेगा भक्तो का तांता

कल से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है।रविवार को घट स्थापना होगी। ये पर्व 23 अक्टूबर तक चलेगा इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है।शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, तब ज्यादा बारिश के योग बनते हैं।

नवरात्रि पर योग

ज्योतिषाचार्य प्रखर त्रिपाठी (रजत) की मानें तो इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों का होगा और 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। शारदीय नवरात्रि पर बुधादित्य योग, शश राजयोग और भद्र राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ आज रविवार से हो रहा है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं।

कल से नवरात्रि शुरु शहर से लेकर गांव मंदिर और पंडाल होंगे गुलजार

माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा। वैसे तो देवी दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन नवरात्रि की शुरुआत में वार के अनुसार देवी का वाहन बदल जाता है।इस बार नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इस कारण देवी का वाहन हाथी रहेगा। देवी के इस वाहन का संदेश ये है कि आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है।लोगों को सुख-समृद्धि मिलेगी।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है।मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। नवरात्रि की शुरुआत आज रविवार से होगी।23 अक्टूबर को नवरात्रि समाप्त होगी।वहीं 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी। ये आज दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से होगी।

हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है।नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है।माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं।हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी।देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा।

क्या रहेगा असर

ज्योतिषाचार्य प्रखर त्रिपाठी (रजत) ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है। हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं।मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी।हाथी को शुभ का प्रतीक माना गया है। ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा। लोगों के बिगड़े काम बनेंगे। माता रानी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य प्रखर त्रिपाठी (रजत) ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है। ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।

Navratri will start from tomorrow, from city to village, temples and pandals will be buzzing.

घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक, अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक

यह हैं शारदीय नवरात्रि की तिथियां

  • 15 अक्टूबर 2023 मां शैलपुत्री पहला दिन प्रतिपदा तिथि
  • 16 अक्टूबर 2023 मां ब्रह्मचारिणी दूसरा दिन द्वितीया तिथि
  • 17 अक्टूबर 2023 मां चंद्रघंटा तीसरा दिन तृतीया तिथि
  • 18 अक्टूबर 2023 मां कुष्मांडा चौथा दिन चतुर्थी तिथि
  • 19 अक्टूबर 2023 मां स्कंदमाता पांचवा दिन पंचमी तिथि
  • 20 अक्टूबर 2023 मां कात्यायनी छठा दिन षष्ठी तिथि
  • 21 अक्टूबर 2023 मां कालरात्रि सातवां दिन सप्तमी तिथि
  • 22 अक्टूबर 2023 मां महागौरी आठवां दिन दुर्गा अष्टमी
  • 23 अक्टूबर 2023 महानवमी नौवां दिन शरद नवरात्र व्रत पारण

24 अक्टूबर 2023 दशहरा, मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन

कैसे करे कलश स्थापना

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है।मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं।रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है।

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घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है।अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

क्या होगी कलश स्थापना की सामग्री

पंडित शिवकुमार तिवारी ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।

कैसे करें कलश स्थापना

ज्योतिषाचार्य प्रखर त्रिपाठी (रजत)ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं।

फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें।फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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