नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या 7 से 30 नवम्बर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगायी जा सकती है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान सरकारों के अलावा दिल्ली पुलिस के कमिश्नर , केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर 05 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिका इंडियन सोशल रिस्पांसिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है। इसलिए दिल्ली एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है।
याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है। कोरोना के केस दिल्ली में रोजाना 15 हजार तक जा सकते हैं जो कि फिलहाल पांच हजार रोजाना आ रहे हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है। स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए और खराब हो सकती है।
एनजीटी ने कहा कि जो रिपोर्ट आ रही है उसके मुताबिक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है और कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 410 से 450 के बीच है जो काफी खतरनाक है। इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। विशेषज्ञों की राय के मुताबिक वायु प्रदुषण और कोरोना का गहरा संबंध है और वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना के बढ़ने का भी खतरा ज्यादा है। एनजीटी ने इस मामले पर मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है।