सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में एक पवन कुमार गुप्ता की सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव याचिका) सोमवार को खारिज कर दी। पवन ने अपराध के समय खुद के नाबालिग होने का दावा करते हुए फांसी को उम्रकैद में बदलने का अनुरोध किया था। निर्भया मामले में चारों दोषियों को तीन मार्च की सुबह फांसी होनी है।
वकील एपी सिंह ने बताया था कि उन्होंने रविवार को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक अर्जी दाखिल कर खुली अदालत में पवन की सुधारात्मक याचिका पर मौखिक सुनवाई का अनुरोध किया। दोषियों में केवल पवन के पास ही अब सुधारात्मक याचिका दायर करने का विकल्प बचा था।
इससे पहले दोषियों के पैतरों से दुखी मां ने कहा, ‘मैं 7 साल 3 महीने से संघर्ष कर रही हूं। वो कहते हैं हमें माफ कर दो। कोई कहता है कि मेरे पति, बच्चे की क्या गलती है। मैं कहती हूं कि मेरी बच्ची की क्या गलती थी?’
वहीं, दूसरी तरफ एक अन्य दोषी अक्षय सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति के समक्ष फिर दया याचिका दायर की। निचली अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर तीन मार्च, सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी।
शुक्रवार को दायर पवन की याचिका पर जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ सोमवार सुबह इन चैंबर सुनवाई करेगी। बाकी तीन दोषियों की सुधारात्मक याचिका कोर्ट खारिज कर चुका है।
गौरतलब है कि कानूनी तिकड़मों के चलते दो बार डेथ वारंट जारी होने के बावजूद दोषियों को फांसी नहीं हो सकी है। पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि चारों को एक साथ फांसी होगी। इसे केंद्र और दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर पांच मार्च को सुनवाई है।
इस बीच, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता ने डेथ वारंट पर रोक के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की है। एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने इस पर तिहाड़ जेल प्रशासन से दो मार्च तक जवाब मांगा है। याचिका में अक्षय ने दावा किया कि राष्ट्रपति के समक्ष उसकी नई दया याचिका लंबित है। वहीं, पवन ने सुधारात्मक याचिका का हवाला दिया है।