लखनऊ। बीते साल के फरवरी महीने में जावेद उस्मानी के रिटायरमेंट के बाद खाली हुए यूपी सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त के पद को भरने की कवायद अभी चल ही रही है कि इसी बीच राजधानी लखनऊ के पुराना हैदरगंज निवासी नामचीन अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ला ने चयन समिति के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री, चयन समिति के सदस्य नेता प्रतिपक्ष विधान सभा और चयन समिति के सदस्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के साथ साथ स्क्रीनिंग समिति के अध्यक्ष प्रमुख सचिव, प्रशासनिक सुधार विभाग, स्क्रीनिंग समिति के सदस्य सुनील कुमार और डा. शील अस्थाना को पत्र लिखकर यूपी का मुख्य सूचना आयुक्त बनने पर वेतन, भत्ता, वाहन, सुरक्षा, पेंशन समेत कोई भी सरकारी लाभ नहीं लेने का ऐलान किया है।
अशोक कुमार शुक्ला ने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति हेतु जारी विज्ञप्ति संख्या-13/2019/206/43-2-2019-15/2(2)/2014 दिनांक 18 नवम्बर 2019 के अनुक्रम में दिनांक 19 नवम्बर 2020 को प्रशासनिक सुधार निदेशालय लखनऊ में व्यक्तिगत रूप से आवेदन पत्र जमा किया था, जो कि क्रम संख्या सी.आई.सी.–6/2020 पर दर्ज किया गया था।
बताते चलें कि अशोक कुमार शुक्ला एक लब्धप्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं जो विधि क्षेत्र में वर्ष 2004 से और आर.टी.आई. क्षेत्र में वर्ष 2008 से सराहनीय कार्य कर रहे हैं एवं मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति हेतु समाज में ख्यातिप्राप्त सर्वथा योग्य अभ्यर्थी हैं। अशोक ने सभी अथॉरिटीज से अनुरोध किया है कि वे उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्ति की स्क्रीनिंग और अंतिम बैठक में उनके प्रार्थना पत्र पर भी सम्यक रूप से विचार-विमर्श करते हुए ही अंतिम निर्णय दें।
श्री शुक्ला का कहना है कि इस प्रकार से उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त पद पर उनकी नियुक्ति होने पर राजकोष पर कोई भी भार नहीं आएगा और राज्य सरकार इस धनराशि को अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं में व्यय कर सकती है।