चार धाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट से सरकार को राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने चार धाम यात्रा पर 28 जुलाई तक रोक को बरकरार रखा है. साथ ही हाईकोर्ट ने एक बार फिर दोहराया कि चार धाम की लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की जाए.
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राज्य सरकार ने दलील दी है कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया है कि चार धाम स्थलों के आसपास रहने वाली आबादी के महत्वपूर्ण हिस्से की आजीविका इसी यात्रा पर निर्भर करती है.
याचिकाकर्ताओं ने शपथ पत्र को लेकर कोर्ट में अलग-अलग आपत्तियां जाहिर कीं। सच्चिदानंद डबराल के अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया कि शपथ पत्र भ्रामक है। इसमें यह उल्लेख नहीं है कि गौरी कुंड में नहाने की अनुमति है या नहीं।
तीन जिलों के लोगों को यात्रा में जाने की अनुमति के साथ अन्य लोग लिखना भी भ्रमित करता है। तीन जिलों में मेडिकल की सुविधाओं के बारे में कुछ नहीं लिखा गया है। इसके अलावा एंबुलेंस और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी स्थिति साफ नहीं है।
सरकार ने अपनी दलील में कहा कि वहां के लोगों का रोजगार चार धाम यात्रा पर ही टिका है. उत्तराखंड सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि चार धाम यात्रा से वहां के लोगों को रोजगार मिलता है, जो उनकी कमाई का एकमात्र साधन है.