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भेदभाव रहित विकास

सेक्युलर राजनीति के दावेदारों ने सामाजिक विभाजन को बढ़ाया है। इन्होंने वोटबैंक व तुष्टिकरण की राजनीति को ही धर्मनिरपेक्षता का संबोधन दिया। इसे सेक्युलर राजनीति करार दिया गया। इससे असहमति रखने वालों को साम्प्रदायिक घोषित कर दिया गया। इस कारण देश की अनेक ज्वलंत समस्याओं को नजरअंदाज किया गया। वह जानते थे कि ऐसी समस्याओं का कभी न कभी तो समाधान तलाशना होगा। अन्यथा भावी पीढ़ियों को इनका सामना करना होगा। सेकयलर राजनीति के दावेदारों ने अपने वर्तमान सत्ता सुख को ही वरीयता दी। इसके लिए इन्होंने विभाजन की खाई बढाने में कोई संकोच नहीं किया। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद भारतीय राजनीति का नया युग प्रारंभ हुआ। इसमें सबका साथ व सबका विकास का उद्घोष था। सबके विश्वास का महत्व था।

संवेदनशील समस्याओं को भावी पीढ़ी के लिए छोड़ देने को अनुचित माना गया। समाधान तलाशा गया। इसके सकारात्मक परिणाम मिले। पांच सौ वर्षों से श्री रामजन्म भूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण का विषय संवेदनशील बना हुआ था। इसका सौहार्द के साथ समापन हुआ। अनुच्छेद 370 व 35 ए संविधान के अस्थाई अनुच्छेद थे। सेक्युलर राजनीति में इन्हें स्थायी मान लिया गया था। यह संविधान की भावना के विरुद्ध था। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसका भी समाधान किया। तीन तलाक को समाप्त किया गया। आर्थिक क्षेत्र में भी बिना भेदभाव के लोगों को योजनाओं का लाभ दिया गया। यह सच्चे अर्थों में सबका साथ सबका विकास था। समाज के सभी वर्गों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया गया। इस आधार पर भाजपा को आज विभाजन की राजनीति पर प्रहार का नैतिक अधिकार मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाजन की राजनीति पर जम कर प्रहार किया। वैसे भाजपा की चुनावी रणनीति में सरकार की उपलब्धियों पर पूरा फोकस है। उसका दावा है कि पांच वर्ष में विकास के अभूतपूर्व कार्य हुए है। इसके मुकाबले सपा बसपा के दस वर्ष बहुत पीछे छूट गए है। इसलिए विपक्षी पार्टियां अपने कार्यकाल की बातों से बचने का प्रयास कर रही है। व

स्तुतः उनके कार्यकाल की चर्चा भाजपा ही कर रही है। उसके अनुसार पहले कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हुआ करती थी। योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्था को सुधार दिया है। उत्तर प्रदेश के लोग पुराने दिनों की वापसी नहीं चाहते है। मतदान के प्रत्येक चरण में भाजपा की विजय यात्रा आगे बढ़ रही है। मतदान के पहले व दूसरे चरण में भाजपा के पक्ष में भारी उत्साह दिखाई दिया था। इसमें विपक्ष के समीकरण बेअसर हो गए है।

भाजपा का दावा है कि मतदाता सुशासन के मंत्र को लेकर सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के संकल्प को चरितार्थ करने वाली सरकार को चुनेंगे।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है। इन दलों का कोई भी बडा नेता आज तक भगवान राम के दर्शन के लिए नहीं गया है क्योंकि उन्हें वोट बैंक का खतरा है। पांच साल में ही ग्यारह लाख करोड की अर्थव्यवस्था बाइस लाख करोड की हो गई है। पांच साल पूर्व जो बेरोजगारी दर सत्रह प्रतिशत थी वह पांच साल में करीब साढ़े चार प्रतिशत ही रह गई है।

आज भाजपा ने अगले पांच साल के लिए अपने संकल्प घोषित कर दिए है। आने वाले पांच साल में यूपी के माध्यमिक विद्यालयों को आधुनिकतम इन्फ्रास्ट्रक्चर से युक्त किया जाएगा। यह बदलाव भाजपा की सरकार लाती है। इसके विपरीत विपक्ष की सरकारें के आने पर माफिया,वसूली की पर्ची तथा समाज को जाति और सम्प्रदाय में विभाजित करने जैसे काम होते है।

भाजपा ने सबका साथ सबका विकास के आधार पर काम किया है। राशन का वितरण हुआ है तो हिन्दू मुसलमान सिख इसाई अगडा पिछडा दलित सभी को बराबर से दिया है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है।

सरकार ने किसान को सम्मान निधि दी है। घर-घर नल से पीने का पानी पहुचाया जा रहा है। गांव से लेकर शहर तक भरपूर बिजली आ रही है। महिला सम्मान की रक्षा के लिए हर घर में शौचालय बनवाया गया है। गरीबों को मकान,गैस का कनेक्शन दिया है। संकल्प पत्र में यह कहा हैं कि जिन्हें गैस का चूल्हा दिया है उन्हें होली दिवाली में फ्री में गैस सिलेंडर मिलेगा। साठ साल से अधिक की महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री होगी।

आने वाले समय में किसानों को सिंचाई के लिए बिजली फ्री मिलेगी। इंटर पास करने वाली मेधावी छात्राओं को स्कूटी फ्री मिलेगी। हर घर में एक नौजवान को नौकरी दी जाएगी। सपा बसपा कांग्रेस पुरानी पेंशन के नाम पर लोगों को भडका रही है। सपा शासन काल मे स्वयं सैप ही नई पेंशन लाई थी वह वोट के लिए पुरानी पेंशन लाने का झूठा वादा कर रही है। वर्तमान भाजपा सरकार नई पेंशन की कमियों को दूर कर रही है। पुरानी पेंशन के जो बेहतर विकल्प है उन्हें नई पेंशन योजना में शामिल कर रही है सपा सरकार ने पिछले शासनकाल में साढ़े दस हजार करोड रुपए का सरकारी अंशदान नई पेंशन का जमा ही नहीं किया था। जिसे के बीजेपी सरकार आने पर जमा किया गया। जो समाजवादी पिछली सरकार में बिजली नहीं दे पाए और प्रदेश के लोगों को अंधेरे में रखा वे फ्री बिजली की बात कर रहे है।भाजपा सरकार ने करीब पैंतालीस लाख गरीबों को मकान देने को काम किया है। योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ होने पर कहा था कि उप्र का विधानसभा चुनाव अस्सी बनाम बीस के बीच है। वस्तुतः यह बीस विभाजन की राजनीति का समर्थक रहा है। उनका कहना था कि जो हिन्दू विरोधी हैं,राष्ट्र विरोधी है, जिनकी पीढ़ी पेशेवर अपराधियों के साथ में खड़ी है, जिनकी पीड़ा पेशेवर आतंकवादियों के साथ में है,यह वही लोग हैं। योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया था कि उनका कथन किसी समुदाय के संदर्भ में नहीं है।

भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा,सुशासन और विकास की दृष्टि से आवश्यक है। जबकि पिछली सरकार के समय पहला दंगा मथुरा के कोसी कला से शुरू हुआ था। सरकार बनने के एक माह के भीतर यह दंगा हुआ था। आखिरी दंगा मथुरा के जवाहर बाग में हुआ था। भारत की तीन सनातन परम्परा की नदियां उप्र में ही हैं। अयोध्या,काशी और मथुरा भी है। इन सभी स्थानों का विकास करने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। नए भारत में विकास सबका लेकिन तुष्टीकरण किसी का नहीं। सबका साथ सबका विकास की भावना के साथ काम हो रहा है। सबका विश्वास और सब के प्रयास को लेकर सरकार चल रही है। यह नया भारत संविधान के अनुरूप चलेगा। व्यक्तिगत आस्था हमारे व्यक्तिगत अधिकारों,स्वयं की पसंद नपसंद देश के ऊपर लागू नहीं कर सकते। संस्थाओं के ऊपर लागू नहीं कर सकते। ड्रेस कोड स्कूलों के अनुशासन का विषय है। पांच सालों में कोई दंगा नहीं हुआ। कर्फ्यू नहीं लगा।

आज प्रदेश में शानदार तरीके से कावड़ यात्रा निकलती है। यह आस्था का भी सम्मान है और लोगों को प्रदेश के अंदर सुरक्षा का एहसास भी कराता है। नरेंद्र मोदी ने भी विभाजन की राजनीति को गलत बताया। हिंदुओं के वोट बांटने के नाम पर गठबंधन किये जा रहे है। विपक्ष मतदाताओं को गुमराह कर रहा हैं। योगी सरकार की सख्ती से मनचलों,गुंडों,दबंगों, दंगाइयों में डर पैदा हुआ है। वह बहन बेटियों के हौसलों को बुलंद करने में बहुत उपयोगी है। इसलिए यूपी की हर बहन बेटी कह रही है कि यूपी के लिए योगी बहुत उपयोगी हैं। दिल्ली से भेजे गए धन को योगी सरकार ईमानदारी से विकास व लोक कल्याण में खर्च कर रही है। मोदी ने सवाल किया कि हिंदू वोटों को बांटना चाहते हो तो किसके वोट इकट्ठा करना चाहते हो। वोट बांटने की राजनीति करने वालों से सावधान रहने की जरूरत है।

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