ऑस्ट्रेलिया में लखनऊ! जी हां, आप बिल्कुल ठीक पढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जो अपने नवाबी ठाठ-बाट के लिए जाना जाता है। यह शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनी पहचान बनाए हुए है। मगर क्या आप जानते हैं कि एक लखनऊ, ऑस्ट्रेलिया में भी है। यह बात अलग है कि ऑस्ट्रेलिया का लखनऊ एक छोटा सा गांव है। मगर जिस देश में भारतीयों की इतनी आबादी हो वहां पर अपने किसी शहर का नाम भी बड़ा ही लगता है।
सिडनी से 245 किलोमीटर दूर: ऑस्ट्रेलिया के राज्य न्यू साउथ वेल्स में ऑरेंज सिटी है और जब आप सिडनी से ऑरेंज सिटी जाएंगे तो यह लखनऊ नाम का गाँव यहीं पर देखने को मिलेगा। सिडनी से लखनऊ 245 किलोमीटर दूर है। गांव के बाहर लगा बोर्ड देखकर ही आप चौंक जाएंगे।
बोर्ड पर लिखा है Lucknow। यह बोर्ड देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर लखनऊ, ऑस्ट्रेलिया में कैसे आ गया। उत्तर प्रदेश के लखनऊ की आबादी साल 2011 की जनगणना के हिसाब से करीब 35 लाख है और ऑस्ट्रेलिया के लखनऊ की आबादी है महज 300 लोग। ऑस्ट्रेलिया का लखनऊ सोने की खदानों से भरा पड़ा है। दरअसल संपूर्ण ऑस्ट्रेलिया सोने की खदानों के लिए मशहूर है और लखनऊ में भी कई गोल्ड माइंस मिली थीं।
150 साल पुराना गांव है लखनऊ: बताया जाता है कि ऑरेंज सिटी का गांव लखनऊ 150 साल पुराना है। सन् 1850 में यहां पर पहली सोने की खदान मिली थी और फिर दूर-दूर से लोग यहां पर सोना खोजने के लिए आने लगे। उस समय यहां पर “जर्नलिस्ट विलियम चार्ल्स वेंटवर्थ” का मालिकाना हक था। ऑरेंज एंड डिस्ट्रिक्ट हिस्टॉरिकल सोसायटी के मुताबिक सन् 1852 में इस जमीन को वेंट वर्थ गोल्ड फील्ड कंपनी ने खरीदा था। यह ऑस्ट्रेलिया की संभवतः पहली गोल्ड माइनिंग कंपनी थी, जो 1860 तक काम करती रही।
1860 में कंपनी खत्म हो गई: दो साल बाद खान और उसके आस-पास की जमीन को लीज पर दिया जाने लगा। तब सोना पाने की चाह में लगभग दो सौ लोग यहां बस चुके थे। यानी एक गांव बस गया था। उन लोगों को गांव में एक डाक खाने की जरूरत हुई, और डाक खाने के लिए गांव को नाम दिया जाना था। तब लोगों ने मिलकर एक याचिका तैयार की और उसमें नाम और पता लिखा गया लखनऊ।
कैसे पड़ा इसका नाम इतिहासकार केरिन कुक ने अपनी किताब ‘लखनऊः अ वेरिटेबल गोल्डमाइन’ में लिखा है कि इस जगह का नाम लखनऊ रखने के पीछे भारत के लखनऊ से इसका संपर्क भी हो सकता है। उन्होंने लिखा है, ‘लखनऊ नाम कई वजहों से चुना गया होगा। तब दुनियाभर में अंग्रेजी शासक भारत के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किये जा रहे विरोध से हैरान थे, जो 1857 के सैन्य विद्रोह के दौरान हुआ था।’ कुक ने यह भी लिखा है कि वेंटवर्थ गोल्डफील्ड में सोने की खदान में खनन उसी तकनीक से होता था, जैसा लखनऊ में होता था।
ऑरेंज एंड डिस्ट्रिक्ट हिस्टोरिकल सोसायटी ने अपनी रिसर्च में पाया है कि लखनऊ के नामकरण से जुड़े सारे आधिकारिक दस्तावेज एक बाढ़ में नष्ट हो गए थे। इसके नाम को लेकर कई किस्से चलन में हैं। एक किस्सा है कि लखनऊ में डाक खाने की याचिका तब खनन कंपनी के क्लर्क रहे एक मिस्टर रे ने तैयार की थी, जो लखनऊ की घेराबंदी के दौरान घायल हुए थे और बाद में ऑस्ट्रेलिया आकर बस गए थे, और उन्होंने ही इस जगह को लखनऊ नाम दिया।
इस लखनऊ में है सोना ही सोना: एक अनुमान के मुताबिक उस समय लखनऊ में सोने की खान से 18 हजार किलो सोना निकाला गया था। जो सबसे बड़ा सोने का पत्थर मिला था, वह 76 किलो का था। एक चमकते दमकते इतिहास की जमीन पर खड़ा यह गांव अब धूल खा रहा है। बामुश्किल तीन सौ लोगों के इस गांव में एक स्कूल तक नहीं है। लेकिन सौ साल से ज्यादा पुरानी कुछ इमारतें अभी भी हैं, जो ऑस्ट्रेलिया को भारत से जोड़ती हैं।