● एमएलसी दिनेश प्रताप के पार्टी से जुड़ने के 10 वर्षों बाद रायबरेली हुआ भाजपामय
लखनऊ। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश सहित देश के चार अन्य राज्यों पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में घोषित हो चुके चुनाव के दंगल में कूद चुके है। इस दंगल में जहां एक ओर अपनी जीत की सुनिश्चित करने के लिये भाजपा, कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों के टिकट पाने की जुगत में लगे हुये है। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग है जिनके वर्चस्व और जनता के बीच बनी बेहतर छवि के आगे राजनैतिक दल टिकट देने के लिये आतुर है।
इन तमाम उठापटक के बीच गांधी परिवार के चलते केन्द्रबिन्दु रहने वाला रायबरेली कांग्रेस के लिये गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा, इस गढ़ में कांग्रेस का पतन उसी दिन शुरू हो गया था जब शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी और पूर्व कांग्रेसी नेता रहे मौजूदा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने वर्ष 2012 में मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के निमंत्रण पर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। उस दिन से लेकर आज तक भाजपा के प्रति अटूट आस्था के साथ लगे दिनेश प्रताप सिंह भारतीय जनता पार्टी का सालों पुराना सपना रायबरेली में पूरा करने में सफलता पाने में कामयाब रहे।
पिछले लगभग दस वर्षों में कभी कांग्रेस के लिये गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली में सभी प्रमुख पदों जैसे ग्राम प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायकों को एक-एक करके भारतीय जनता पार्टी में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, उससे साफ है कि इस बार के विधानसभा के साथ आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का परचम लहराने से कोई नहीं रोक पायेगा। रायबरेली में भाजपा के बढ़ते प्रभाव में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की सक्रियता का परिणाम रहा कि पिछले विधानसभा के चुनाव में रिकार्ड वोट के साथ भाजपा प्रत्याषी ने जीत दर्ज की, परन्तु सोनिया गाँधी ने अपना आखिरी चुनाव एवं अपनी स्वास्थ्य की स्थिति का प्रोपोगंडा करके रायबरेली की जनता को भ्रमित करके चुनाव जीत लिया, पर रायबरेली की जनता को अपनी गलती का अहसास है और वह अब इस गलती को दोहराना नहीं चाहती है, और वह पूर्ण रूप से दिनेश सिंह के साथ खड़े होकर मौजूदा विधानसभा चुनाव के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का परचम लहराने के लिये तैयार है।