क्रिकेट के खेल में विसंगतियों को दूर करने के लिए ईसीबी यानि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने एक बड़ा फैसला किया है. अब काउंटी क्रिकेट के दौरान कोई भी खिलाड़ी अपनी कलाई पर स्मार्ट वॉच नहीं पहन सकेगा. दरअसल, इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने ये फैसला मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग को देखते हुए अहतियातन लिया है. इस नए नियम के बाद अब टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले किसी भी मैच में खिलाड़ी मैदान में स्मार्ट वॉच पहन कर नहीं आ सकते हैं.
खिलाड़ियों को इतनी रिआयत दी गई है कि अगर मैचों का सीधा प्रसारण नहीं किया जा रहा है तो वे पवेलियन या डग आउट में स्मार्ट वॉच पहन कर बैठ सकते हैं. आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मैचों में खिलाड़ियों के स्मार्ट वॉच पहनने पर पहले से ही रोक लगी हुई है.
पिछले दिनों एक खबर ने इस पूरे मामले को हवा दी थी. ये वाक़या पिछले साल का है. दरअसल लैंकशायर के स्पिनर मैट पार्किंसन एक मैच खेल रहे थे. इसी मैच में उन्हें मैदान के भीतर ही ये जानकारी मिल गई कि उनका इंग्लैंड की टीम में सिलेक्शन हो गया है. ऐसा इसलिए संभव हुआ, क्योंकि साथी खिलाड़ी स्टीवन क्राफ़्ट ने उस मैच में स्मार्ट वॉच पहनी हुई थी. इस बात की जानकारी जब इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड को मिली तो उनका माथा ठनका.
आखिरकार तमाम विचार विमर्श के बाद उन्हें स्मार्ट वॉच पर प्रतिबंध लगाना पड़ा. आपको बताते चलें कि मैट पार्किंसन लेग स्पिनर हैं. उन्हें पिछले साल नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया था. 5 नवंबर को उन्होंने टी-20 मैच से अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्हें इंग्लैंड की वनडे टीम में भी शामिल किया गया था.
एक समय था जब क्रिकेट को जेंटलमैंस गेम कहा जाता था, लेकिन पिछले दो दशक में इस खेल की साख पर आए दिन बट्टा लगा है. दक्षिण अफीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोनिए से लेकर अब तक आए दिन फिक्सिंग की खबरें सामने आती रही हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट में भी फिक्सिंग ने पैर जमा लिए हैं. इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में फिक्सिंग के सामने आने के बाद कई खिलाड़ियों के ख़िलाफ ऐक्शन भी हुआ है.
फिक्सिंग का भूत अब स्पॉट फिक्सिंग जैसी खतरनाक शक्ल ले चुका है. खिलाड़ी मैच के छोटे-छोटे हिस्से को फिक्स कर रहे हैं. विश्व क्रिकेट का संचालन करने वाली संस्था इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल इस पर रोक लगाने के लिए कई तरह के उपाय करती है. खिलाड़ियों को जागरूक भी करती है, लेकिन घरेलू क्रिकेट के संचालकों को भी बेहद मुस्तैदी के साथ कड़े नियम बनाने होंगे वरना क्रिकेट की साख पर हर रोज़ हमले होते रहेंगे.