दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में महिलाओं के बढ़ते कदमों में रोड़ा बने टेरिटोरियल आर्मी मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने महिलाओं से होने वाले भेदभाव को गलत बताया है। ऐसे में कोर्ट के फैसले के बाद अब महिलाएं इस आर्मी में आसानी से शामिल हो सकेंगी। आइए जानते है टेरिटोरियल आर्मी और फैसले के बारे में..
टेरिटोरियल आर्मी में अब दोनों शामिल हो सकते
देश में बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो टेरिटोरियल आर्मी में रहकर देश की सेवा व रक्षा करना चाहती हैं, लेकिन अभी तक इस आर्मी में सिर्फ पुरुषों को ही एंट्री मिलती थी। इस भेदभाव को लेकर हाल ही में वकील कुश कालरा ने इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट याचिका दायर की थी।
- ऐसे में हाईकोर्ट कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने फैसला सुनाया।
- अब पुरुषों के साथ महिलाएं भी इसमें शामिल हो सकेंगी।
- टेरिटोरियल आर्मी अधिनियम की धारा 6 में लिखे गए शब्द किसी भी
- व्यक्ति में पुरुष और महिला दोनों ही शामिल हो सकते हैं।
- टेरिटोरियल आर्मी यानी कि प्रादेशिक सेना देश की रक्षा में एक अहम भूमिका निभाती है।
- इसे स्वयंसेवकों का एक संगठन है भी कहते हैं।
- खास बात यह है कि जो युवक युवतियां किन्हीं वजहों से इंडियन आर्मी में नहीं जा पाते हैं।
- उनके लिए यह टेरिटोरियल आर्मी बेहतर विकल्प है।
- टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना 9 अक्तूबर 1949 को की गई थी।
- इस आर्मी में शामिल जवान आपातकालीन स्थितियों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- इसमें युवाओं के अलावा पूर्व सर्विस अफसर भी ज्वाइन कर सकते हैं।
- हालाकि इसमें सिर्फ भारतीय नागरिकों ही एंट्री कर सकते हैं।
चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण - टेरिटोरियल आर्मी इंडियन आर्मी की एक इकाई के रूप में काम करती है।
- इसमें आवेदक की स्क्रीनिंग इन्फेंट्री बटालियन प्रादेशिक सेना के
- अधिकारी प्रीलिमिनरी इंटरव्यू बोर्ड (पीआईबी) के जरिए करते हैं।
- इस दौरान आवेदक को अपने से जुड़ी हर जानकारी साझा करनी होती है।
- यहां पास होने के बाद सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) व मेडिकल की स्क्रीनिंग भी पास करनी होती है।
- वहीं इस आर्मी में शामिल होने युवाओं को हर साल कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
- कपिल देव, महेंद्र सिंह धोनी मोहनलाल विश्वनाथन नायर जैसी सेलेब्रेटी इसमें शामिल हो चुके हैं।