Breaking News

महानंदा नवमी पर रखें व्रत,दरिद्रता होगी दूर…

नवमी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। महानंदा नवमी की व्रत करने से सभी प्रकार के रोग और कष्ट से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए हम आपको महानंद नवमी के महत्व के बारे में बताते हैं।

महानंदा नवमी का महत्व 

महानंदा नवमी के दिन पूजाघर में दीपक जलाएं और ऊं हीं महालक्ष्म्यै नमः का जाप करें। उसके बाद घर का कूड़ा सूप में रखकर घर के बाहर कर दें। इस प्रक्रिया में घर का सब कूड़ा इकट्ठा कर बाहर कर देना चाहिए। इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है।

महानंदा नवमी पर करें पूजा

महानंदा व्रत के दिन पूजा करने का खास विधान है। महानंदा नवमी से कुछ दिन पहले घर की साफ-सफाई करें। नवमी के दिन पूजाघर के बीच में बड़ा दीपक जलाएं और रात भर जगे रहें। रात्रि जागरण कर ऊं ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः का जाप करते रहें। जाप के बाद रात में पूजा कर पारण करना चाहिए। साथ ही नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन करा कुछ दान दें फिर उनसे आर्शीवाद मांगें। आर्शीवाद आपके लिए बहुत शुभ होगा।

इस व्रत से जीवन में आएगा बदलाव

ऐसा माना जाता है कि महानंदा नवमी के दिन व्रत तथा पूजा करने से घर के सभी दुख और क्लेश दूर हो जाते हैं। इस व्रत के मनुष्य को न केवल भौतिक सुख मिलते हैं बल्कि मानसिक शातिं भी मिलती है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके घर में लक्ष्मी नहीं आ रही हैं और अगर आती भी हैं तो टीक नहीं रहीं तो आप महानंदा नवमी का व्रत जरूर करें। इस व्रत को करने और मन से लक्ष्मी का ध्यान कर पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए लाभदायी होता है।

महानंदा नवमी से जुड़ी कथा

महानंदा नवमी व्रत की कथा के अनुसार एक बार एक साहूकार अपनी बेटी के साथ रहता था। बेटी बहुत धार्मिक प्रवृति की थी वह प्रतिदिन एक पीपल के वृक्ष की पूजा करती थी। उस पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी जी का वास करती थीं। एक दिन लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी से दोस्ती कर ली। लक्ष्मी जी एक दिन साहूकार की बेटी को अपने घर ले गयीं और उसे खूब खिलाया-पिलाया। उसके बाद बहुत से उपहार देकर बेटी को विदा कर दिया। साहूकार की बेटी को विदा करते समय लक्ष्मी जी बोली कि मुझे कब अपने घर बुला रही हो इस पर साहूकार की बेटी उदास हो गयी। उदासी से उसने लक्ष्मीजी को अपने घर आने का न्यौता दे दिया।

घर आकर उसने अपने पिता को यह बात बतायी और कहा कि लक्ष्मी जी का सत्कार हम कैसे करेंगे। इस पर साहूकार ने कहा हमारे पास जो भी है उसी से लक्ष्मी जी का स्वागत करेंगे। तभी एक चील उनके घर में हीरों का हार गिरा कर चली गयी जिसे बेचकर साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी के लिए सोने की चौकी, सोने की थाली और दुशाला खरीदी। लक्ष्मीजी थोड़ी देर बाद गणेश जी के साथ पधारीं। उस कन्या ने लक्ष्मी-गणेश की खूब सेवा की। उन्होंने उस बालिका की सेवा से प्रसन्न होकर समृद्ध होने का आर्शीवाद दिया।

About Samar Saleel

Check Also

आज का राशिफल: 24 मार्च 2024

मेष राशि: आज का दिन आपके लिए पद व प्रतिष्ठा में वृद्धि दिलाने वाला रहेगा। ...