लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल के मण्डल रेल प्रबंधक आदित्य कुमार के मार्गदर्शन में तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा अमरेन्द्र कुमार के नेतृत्व में आज ’विश्व क्षय रोग दिवस’ के अवसर पर मण्डलीय रेलवे चिकित्सालय, बादशाहनगर, लखनऊ के तत्वावधान में टीबी रोग के प्रति जागरूकता के उद्देश्य हेतु स्वास्थ्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में आमत्रिंत मुख्य अतिथि डा डीपी मिश्रा, शेखर हास्पीटल, लखनऊ ने टीबी रोग से सम्बन्धित जिज्ञासाओं एवं समस्याओं के समाधान संबंधी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की। कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनामिका सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वीके पाठक, अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा सुरेश पाल, अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा विनीता गुप्ता, स्वास्थ्य कर्मी एवं रेलकर्मियों व उनके परिवारजनों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रशांत कुमार सिंह समंचिधि ने किया।
इसी परिप्रेक्ष्य मेें ऐशबाग स्थित रेलवे पॉली क्लीनिक में “Yes we can end TB” विषय पर टी.बी रोग के प्रति जागरूकता के उद्देश्य हेतु स्वास्थ्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा दीक्षा चौधरी ने कहा कि टीबी रोग के समाधान के लिए ऐसे स्वास्थ्य जागरूता कार्यक्रमों को आयोजित करने से आम जनमानस को महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है तथा क्षय रोग के लक्षणों का पता चलता है।
जिससे टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति विशेषज्ञ डाक्टरों से सलाह व इलाज करा सकता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा संजय तिवारी ने इस रोग पर विशेष जानकारी देते हुए कहा कि देश में 80 प्रतिशत टी.बी रोग के मामले फेफड़ों में संक्रमण होने से होते है। यदि किसी व्यक्ति को तीन हफ्ते से ज़्यादा खांसी होती है तो विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाएं। टी.बी होने पर नियमित तौर पर दवा का पूरा कोर्स लें।
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चिकित्सक के बिना परामर्श के दवा बंद न करे। आमतौर पर बीमारी ख़त्म होने के लक्षण दिखने पर रोगी को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों (Dots Center) में टी.बी रोग का इलाज फ्री होता है। टीबी का इलाज लंबा चलता है।
इससे ठीक होने में 6 महीने से 2 साल तक का समय भी लग सकता है। अगर पूरी तरह ठीक होने से पहले टीबी का इलाज छोड़ दिया जाए तो बैक्टीरिया में दवाओं के विपरीत प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी जटिल हो जाता है। टी.बी. रोग पूरी तरह से इलाज योग्य है, बशर्ते रोगी चिकित्सक के परामर्श के अनुसार पूरा ईलाज नियमित रूप से करें। अन्यथा जटिल किस्म की टी.बी. होने की संभावना प्रबल हो जाती हैं। इस अवसर पर रेल कर्मी, उनके परिवारजन, पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद थे।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी