राजधानी के गोसाईगंज स्थित दुल्लापुर गांव में बिजली विभाग(Electric department) की लापरवाही ने अपने संविदा कर्मी रामानंद रावत (32) की जान ले ली। घटना के बाद जब स्थानीय लोगों ने विभाग के अधिकारीयों को सूचना देने के लिए उनसे सम्पर्क किया तो जे ई मनोज जायसवाल ने उसे बिजली कर्मी मानने से भी इनकार कर दिया।
Electric department में लापरवाही का मामला
खबरों के अनुसार गोसाईगंज के के देवामऊ निवासी महावीर रावत का लड़का रामानंद (32) स्थानीय पावर हाउस पर काम करता था। रविवार को वही दुल्लापुर गांव के पास लगे 11 हजार वोल्ट के खम्भे में तारों के बीच एक कौवा फंस कर मर गया जिसके चलते गांव की बिजली की सप्लाई व्यवस्था रुक गयी।
वहीँ ग्रामीणों का कहना है रामानंद फोन पर शट डाउन लेने के बाद खंभे पर उसे ठीक करने के लिए चढ़ा लेकिन इसी बीच सप्लाई चालू हो गई, जिसकी वजह से उसनेमौके पर ही दम तोड़ दिया।
इस बात को लेकर हंगामा करने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेने का प्रयास किया। किन्तु नाराज गांव वालों ने शव को पुलिस के हवाले नहीं होने दिया। ग्रामीण बिजली विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे।
जेई ने बिजली कर्मी होने से नकारा
स्थानीय पावर हाउस पर तैनात जेई मनोज जायसवाल का कहना है कि मृतक रामानंद पावर हाउस पर न तो बिजली कर्मी है और न ही संविदा कर्मी।

वहीँ बता दें की मृतक अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला था। उसके परिवार में पिता महावीर रावत, पत्नी ममता, एक कुंवारी बहन शिल्पी व दो वर्ष की बेटी प्राची है। बहन के ब्याह की जिम्मेदारी भी मृतक के कन्धों पर ही थी।
घटना के काफी समय बीत जाने के बाद भी बिजली विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे जिससे नाराज़ होकर परिजनों व ग्रामीणों ने खुर्दही के पास सुल्तानपुर हाइवे पर शव रख के जाम लगा दिया। आक्रोशित ग्रामीण मृतक की पत्नी को नौकरी और 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग कर रहे थे।
कृषक बीमा योजना के तहत 5 लाख रुपए
घटना की सूचना पाकर एसपीआरए डॉ सतीश कुमार व तहसीलदार मोहनलालगंज शंभुशरण मौके पर पहुँचे। उन्होंने कृषक बीमा योजना के तहत 5 लाख रुपए मुआवजा दिलाये जाने के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद दिलाने का आश्वसन दिया।
अधिकारियों के आश्वासन के करीब ढाई घंटे बाद हाइवे पर लगा जाम खुल सका। इसके बाद सुल्तानपुर हाइवे पर आवागमन सामान्य हो सका।