दिबियापुर/औरेया। लॉकडाउन में स्कूल व कॉलेज बंद होने के कारण आनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प बनकर उभरी है, यह बात उप्र सरकार के कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह की पुत्र वधू भैतिक विज्ञान की प्रवक्ता संध्या राजपूत ने कही। उन्होंने कहा कि अभी छात्रों की इसमें कम दिलचस्पी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, आनलाइन शिक्षण कार्य, परीक्षा संपादन व परिणाम देना अधिकतर संस्थानों के लिये मुश्किल हो रहा है। ज्यादातर विद्मार्थियों की पृष्ठभूमि ग्रामीण होने के कारण आनलाइन शिक्षण कार्य आसान नहीं है और ज्यादा व्यावहारिक भी नहीं है।
ऑनलाइन मंचों जिनमें जूम,गूगल क्लासरूम या गूगल हैंगआउट जैसे सीमित संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़कर हाशिए पर बैठे बच्चों तक इसकी पहुँच ना के बराबर है साथ ही शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, मेधा विकास और समाज कल्याण लगभग नगण्य है। आनलाइन शिक्षण के लिए कुशल शिक्षकों की कमी भी उभर कर सामने आई है क्योंकि वर्चुअल क्लास/आनलाइन शिक्षण विधि पहले कभी शिक्षक प्रशिक्षण का मुख्य अंग नहीं रही है।
एक अच्छा डिजिटल कंटेंट बिना तकनीकी सहयोग के तैयार करना बेहद मुश्किल है इसलिए अभी इसके संतोषजनक परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। अब जब आनलाइन ही शिक्षण कार्य किया जाना है तो इससे संबंधित प्रणाली को विकसित करने की दरकार होगी ।प्रत्येक जिले में उच्च तकनीकी क्षमता वाले रिकार्डिंग स्टूडियो की स्थापना की जानी चाहिए जहाँ डिजिटल कन्टेंट तैयार करने का प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता उपलब्ध हो सके शिक्षकों को नवीनतम प्रणालियों से अपडेट रखने के साथ ही छात्रों तक सुगमतापूर्वक पहुंच भी सुनिश्चित करनी होगी।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर