नई दिल्ली। लोकसभा उपचुनाव गोरखपुर और फूलपुर सीट पर होने वाले मुकाबले में लोगों का दिल थाम कर बैठने के लिए मजबूर कर दिया है। BJP पीएम मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से इंदिरा गांधी के अधिकांश राज्यों में वर्चस्व के रिकार्ड को पार करते हुए सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। उससे विपक्ष की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
- सपा-बसपा एक दूसरे से गठबंधन के लिए खुलकर सामने आ गये।
- उससे यही लग रहा है कि दोनों पार्टियों ने 1993 के इतिहास से सबक लेते हुए यह बड़ा कदम उठाया है।
BJP को रोकने के लिए कांग्रेस को छोड़ बसपा के साथ सपा
सपा हाल ही के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ पकड़ने के बाद करारी हार झेल चुकी है। जिससे सपा ने अब 1993 के साथ पर दांव लगाने के लिए गठबंधन के लिए बसपा का साथ पकड़ा है। वहीं कांग्रेस ने इस गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ दल जनता की अनदेखी कर स्वार्थबंधन कर रहे हैं। इस गठबंधन की कड़ियां विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से ही जुड़ती हुई दिखाई पड़ रही थी।
- सपा के प्रवीण निषाद को बसपा, आरएलडी और पीस पार्टी का समर्थन है।
- समर्थन के बाद बीजेपी के सामने अब मुश्किलें जरूर खड़ी हो गई हैं।
सीएम योगी की प्रतिष्ठा से जुड़ा है चुनाव
यह उपचुनाव अब सीएम योगी की प्रतिष्ठा से भी जुडा है।
- पिछले 26 वर्षों से लगातार सीएम योगी यहां के सांसद रहे हैं।
- गोरखपुर की जनता उनसे उम्मीदें भी लगाए हुए है।
- वहीं सीएम योगी भी एक के बाद एक गोरखपुर दौरा कर रहे हैं।
- पांच मार्च को सीएम योगी ने छह जन सभाओं को संबोधित किया था।
- वहीं आठ मार्च को चार और नौ मार्च को उनका रोड शो प्रस्तावित है।