• चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाओं का समय से मूल्यांकन जरूरी
• सभी मानकों को पूरा करें, मरीजों को मिले बेहतर सुविधाएं
कानपुर नगर। जनपद के स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रदान की जा रही चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभाग निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए समय-समय पर सुविधाओं का असेस्मेंट यानि मूल्यांकन करना भी बेहद जरूरी है। इससे मरीजों को दी जाने वाली सेवाओं जैसे जनरल क्लीनिक, मातृत्व स्वास्थ्य, नवजात शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सेवाएं, संचारी व गैर संचारी रोगों से बचाव, ओपीडी, ड्रेसिंग, लैब, आउटरीच, टीकाकरण, दवा स्टोर, आपातकालीन सेवाएं, सामान्य प्रशासनिक सेवाओं को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है।
उक्त चर्चा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में बुधवार देर शाम तक चली एक दिवसीय क्वालिटी एश्योरेंस अभिमुखीकरण बैठक में की गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित क्वालिटी एश्योरेंस कार्यक्रम में कायाकल्प अवार्ड योजना विषय पर जनपद स्तरीय प्रशिक्षण की अध्यक्षता कर रहे सीएमओ डॉ आलोक रंजन ने कहा कि सभी पीएचसी, नगरीय पीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेण्टर; कायाकल्प पुरस्कार, नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्वास) और लक्ष्य सर्टिफिकेशन के उद्देश्य से सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने और दस्तावेज के रख-रखाव पर पूरा ज़ोर दें।
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प्रभारी चिकित्साधिकारी जनरल ओपीडी से लेकर प्रसव कक्ष और बायो मेडिकल कचरा प्रबंधन का मूल्यांकन नियमित करते रहें। उन्होंने निर्देश दिया कि स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए मानकों के अनुरूप पूरा करें। गर्भवती एवं बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं तथा लाभों पर भी विशेष ध्यान दें।
बैठक में क्वालिटी एश्योरेंस के नोडल अधिकारी डॉ एसके सिंह ने कायाकल्प, एनक्वास और लक्ष्य सर्टिफिकेशन के सभी मानकों तथा स्वच्छता, संक्रमण बचाव, क्वालिटी एश्योरेंश, डाटा वेलिडेशन आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की । जिला क़्वालिटी एश्योरेन्स परामर्शदाता डॉ आरिफ़ बेग़ व यूनिसेफ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ एचसी पालीवाल ने कहा कि उच्च प्रभाव दृष्टिकोण (एचआईए) के लिए नगरीय सीएचसी-पीएचसी को निर्धारित चेक लिस्ट के अनुसार सभी मानकों से गुजरना होता है और कम से कम 70% अंक प्राप्त करने होते हैं। इसके बाद राज्य स्तर से गठित टीमों की ओर से पुनः निरीक्षण में 70% अंक मिलने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
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सात प्रमुख बिन्दुओं की बात करें तो इंफ्रास्ट्रक्चर, सेनिटेशन-हाइजीन, वेस्ट मैनेजमेंट, इन्फेक्शन कंट्रोल, सपोर्ट सर्विस, हाइजीन प्रमोशन, कार्यक्रमों पर जागरूकता संबंधी विषय महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही कायाकल्प अवार्ड योजना के अंतर्गत चिन्हित चिकित्सा इकाइयों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण के माध्यम से योजना से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान दी, जिससे जनपद में अधिक से अधिक चिकित्सा इकाइयों कायाकल्प अवॉर्ड प्राप्त कर सकें।प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा इकाइयों में ईको फ्रेंडली पर जोर दिया गया। डॉ. आरिफ़ ने बताया कि चिकित्सालय में प्लास्टिक सामग्री का उपयोग नहीं करने और चिकित्सा में एलईडी का प्रयोग करने के लिए निर्देशित किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों को विशेष रुप से संक्रमण नियंत्रण के बारे में बताया गया। ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा इकाइयों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हो, इसलिए उक्त प्रशिक्षण को दो बैच में आयोजित किया गया। बैठक में, जिला नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक, समस्त प्रभारी चिकित्साधिकारी, चिकित्सा इकाइयों से स्टाफ नर्स, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर