लखनऊ। कोरोना से तड़प रहे लखनऊ की ‘सांसें’ अब नहीं थमेंगी। बोकारो से ऑक्सिजन लेकर निकली ऑक्सिजन एक्सप्रेस लखनऊ पहुंच गई हैं। ऑक्सिजन लेकर शुक्रवार दोपहर ऑक्सिजन एक्सप्रेस रवाना हुई थी। शनिवार की सुबह लगभग सात बजे ऑक्सिजन एक्सप्रेस लखनऊ के चारबाग स्टेशन पहुंची। इसमें तीन टैंकर लदे थे। एक वाराणसी में उतारा गया, जबकि दो लखनऊ के लिए हैं।
इससे पहले गुरुवार सुबह 8 बजे लखनऊ से 20-20 हजार लीटर की क्षमता के तीन टैंकरों को लेकर रवाना हुई ऑक्सिजन एक्सप्रेस शुक्रवार रात दो बजे बोकारो पहुंच गई। इसके बाद रात में ही उन टैंकरों को अनलोड करके स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के प्लांट में भेजा गया।
शुक्रवार को दोपहर निकली थी ट्रेन
सेल से पहला ऑक्सिजन टैंकर सुबह नौ बजे और दूसरा टैंकर रिफिल होकर 10 बजे बोकारो स्टेशन पहुंच गया। इसके बाद तीसरा टैंकर सुबह 11 बजे रिफिल करके बोकारो स्टेशन पर भेज दिया गया। वहां से विशेष प्रकार के मिलिट्री स्पेशल के लो फ्लोर रेक में तीनों लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन टैंकर लादे गए। दोपहर करीब दो बजे ऑक्सिजन एक्सप्रेस बोकारो से लखनऊ के लिए रवाना की गई। यह स्पेशल ट्रेन 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लखनऊ लाई गई।
उतरेटिया बाईपास होकर पहुंची चारबाग
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक जीआरपी और आरपीएफ एस्कॉर्ट के साथ तीनों गैस टैंकरों को रवाना किया गया था। ऑक्सिजन एक्सप्रेस गया से पंडित दीन दयाल नगर होकर वाराणसी स्टेशन पर आई। वहां इसका एक टैंकर उतारा गया। जो पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मरीजों को ऑक्सिजन देगा। इसके बाद ऑक्सिजन एक्सप्रेस सुलतानपुर से उतरेटिया, ट्रांसपोर्टनगर और आलमनगर बाईपास होते हुए चारबाग स्थित टीपीटी साइडिंग पहुंची।
चारबाग में रात से ही जीआरपी मुस्तैद
ऑक्सिजन एक्सप्रेस के रूट में यूपी, बिहार और झारखंड जीआरपी के सभी थानों को अलर्ट किया गया था। पुलिस ने ऑक्सिजन एक्सप्रेस के गुजरने की रिपोर्ट भी दी। जबकि उनके रूट में कोई अवरोध न हो इसलिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। रेलवे कंट्रोल रूम में ऑपरेटिंग अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई। वहीं चारबाग स्टेशन पर आधी रात बाद से ही टीपीटी साइडिंग में सुरक्षा के लिए जीआरपी कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
खुद पहुंचे एसीएस होम
सुबह ऑक्सिजन एक्सप्रेस लखनऊ पहुंची। तो मौके पर कई आला अधिकारी मौजूद रहे। यहां तक कि खुद एसीएस होम अवनीश अवस्थी की निगरानी में टैंकर उतरवाए गए। शनिवार को बोकारो से लखनऊ पहुँची ऑक्सिजन एक्सप्रेस आने के बाद अगले दो दिनों तक हजारों मरीजों को सांसें मिल सकेंगी। राजधानी में सक्रिय 53,475 मरीजों में 40 प्रतिशत को ऑक्सिजन की सख्त जरूरत है। शहर के ज्यादातर ऑक्सिजन प्लांट में किल्लत के कारण लोग परेशान हैं। ऐसे मरीज ऑक्सिजन एक्सप्रेस से उम्मीद लगाए बैठे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में रोज 60 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत पड़ रही है। 40 मीट्रिक टन ऑक्सिजन शनिवार सुबह तक लखनऊ पहुंचने पर हजारों मरीजों को राहत मिल सकेगी। हालांकि ऑक्सिजन महज दो दिन ही राहत दे सकेगी।
इसके बाद दूसरी खेप की जरूरत पड़ेगी
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 140 अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया है। इसमें 120 निजी अस्पताल हैं। इसके साथ ही करीब 700 नॉन कोविड निजी अस्पताल हैं। वर्तमान में लगभग सभी जगह बेड भरे हुए हैं। सभी अस्पतालों में सबसे बडी समस्या ऑक्सिजन की है। कई अस्पतालों में ऑक्सिजन की कमी से मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि लखनऊ में आक्सीजन की दूसरी खेप की शीघ्र ही जरूरत पड़ सकती है।