कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान ने दुनिया भर से मुंह की खाई। बाद में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी तमाम कोशिशें करने के बावजूद भी चीन और पाक के हाथ खाली रहे। अब इसी कड़ी में एक दिलचस्प बात सामने आई है। एक रिपोर्ट में पता चला कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 12 दिसंबर को सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने एक बात फिर दोहराई कि कश्मीर में डर का माहौल है और दक्षिण एशिया में तनावपूर्ण स्थिति है इसलिए जल्द से जल्द बैठक बुलाई जाए।
लेकिन उसी दिन यूएन ने अंतरधार्मिक बातचीत और शांति को कायम रखने पर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके अलावा सुरक्षा परिषद ने करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने के दोनों देशों के फैसले का स्वागत किया और इसे अंतरधार्मिक भावनाओं का सम्मान और आपस में शांति बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जो पाकिस्तान UNSC में शांति बनाए रखने का हवाला देकर बैठक बुला रहा था लेकिन उसने जो पत्र लिखा उसमें कुछ और बात सामने आई। सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का कहना था कि करतारपुर कॉरिडोर की पहल का संदर्भ और प्रस्ताव की भाषा को कुरैशी के पत्र से एक दम अलग है, इसलिए पाक और चीन जिस मुद्दे को उठाना चाह रहे है, उसे द्विपक्षीय स्तर पर ही अच्छे से निपटाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा था कि यूएन के प्रस्ताव का शीर्षक था ‘अंतरधार्मिक और अंतरसांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा, शांति के लिए सहयोग की समझ’ था।
सदस्य देशों का कहना था कि पाकिस्तान एक तरफ कश्मीर और दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ने का हवाला देकर यूएन की बैठक बुलाना चाहता था वहीं, दूसरी ओर करतारपुर कॉरीडोर में तनाव बढ़ रहा है यह बोल रहा था। इसलिए उनके लिए समझना मुश्किल है कि पाक का आखिर स्टैंड क्या है। उन्होंने यूएन के प्रस्ताव में बताया था कि इसमें करतापुर साहिब कॉरिडोर खोलने के फैसले का स्वागत किया गया और भारत-पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुए समझौते की सराहना की गई थी।