सुबह के नाश्ते को अगर मिस करते हैं तो समझिए आप अपने लिए कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं. रात के खाने के बाद हम प्रातः काल ही कुछ खाते-पीते हैं. ब्रेकफास्ट के इन दो शब्दों का मतलब ही यही है कि रातभर की नींद के दौरान शरीर ने जो व्रत किया है, उसे खोलना. हमारी स्वास्थ्य के लिहाज से नाश्ते की किरदार बहुत ज्यादा अहम होती है.
अगर नहीं किया ब्रेकफास्ट –
शरीर की सारी क्रियाओं को चलाने के लिए ईधन चाहिए होता है, जो कि हमें भोजन से मिलता है. भोजन को पचाने के बाद शरीर उसे ग्लूकोज में बदल देता है. ठीक समय पर भोजन करते रहते हैं तो शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता पूरी होती रहती है. सात-आठ घंटे की नींद के बाद प्रातः काल सोकर उठने पर शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है. महत्वपूर्ण ऊर्जा न मिलने पर शरीर सुरक्षात्मक हालात में चला जाता है. शरीर में जमा फैट व प्रोटीन ग्लूकोज में बदलने लगता है. सारी कठिनाई यहीं से प्रारम्भ हो जाती है.
दिमाग थकने लगता है –
शरीर में जमी वसा व प्रोटीन को ग्लूकोज में तोड़ने के लिए दिमाग के एक हिस्से को ज्यादा सक्रिय होना पड़ता है. इस क्रिया में दिमाग को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. दिमाग का ज्यादा जोर शरीर के बचाव में लग जाता है. सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है. एकाग्रता घट जाती है व दिमाग थकने लगता है.
चिड़चिड़ापन होता है –
बात-बात में गुस्सा, चिड़चिड़ापन व कार्य में मन नहीं लगता. प्रतिदिन ब्रेकफास्ट छोड़ने से बच्चों की स्कूल में परफॉरमेंस व कार्यालय जाने वालों के कार्य पर प्रभाव पड़ता है.
याददाश्त घटती है –
एकाग्रता में कमी आती है. याददाश्त निर्बल होती है. अमूमन लोगों की शिकायत होती है मैं कुछ ज्यादा भूलने लगा हूं. ऐसे लोग सबसे पहले यही देखें कि कहीं नाश्ता तो मिस नहीं कर रहे.