भारत में पांच अक्टूबर से शुरू हो रहे वनडे वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने शुक्रवार को अपनी टीम का ऐलान कर दिया है. इंजमाम उल हक की अध्यक्षता वाली सीनियर सेलेक्शन कमेटी ने वो 15 खिलाड़ी चुन लिए हैं जिनके दम पर पाकिस्तान 32 साल बाद वनडे में विश्व विजेता बनने का सपना देख रहा है.
पाकिस्तान ने 1992 में इमरान खान की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीता था. इंजमाम उस टीम का हिस्सा थे. इस बार बाबर आजम की कप्तानी में पाकिस्तान वर्ल्ड चैंपियन बनने का ख्वाब पाल रहा है. लेकिन जो टीम उसने चुनी है और जो हालात हैं उन्हें देख तो ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की वर्ल्ड कप में बुरी फजीहत होने वाली है.
पाकिस्तान ने हाल ही में वनडे फॉर्मेट में अच्छा किया है. वह नंबर-1 टीम भी रही है लेकिन बड़ी टीमों के खिलाफ, जहां कॉम्पटीशन टफ होता है वहां पाकिस्तान को घर से बाहर बिखरते देखा गया है. पाकिस्तान ने अधिकतर जीतें जो हासिल की हैं वो अपने घर में हासिल की हैं और विदेशों में उसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है. ताजा उदाहरण एशिया कप-2023 का है जहां ये टीम अपने से कमजोर मानी जाने वाली श्रीलंका से हार गई और एशिया कप के फाइनल तक में नही पहुंच सकी.
खराब बैटिंग फॉर्म
पाकिस्तान की कमजोर कड़ी उसकी बल्लेबाजी है. टीम मुख्य तौर पर कप्तान बाबर और विकेटकीपर-बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान के दम पर टिकी रहती है. अगर इन दोनों में से कोई चल गया तो अच्छा नहीं तो पाकिस्तान का रन बनाना मुश्किल होता है. बाबर ने एशिया कप में नेपाल के खिलाफ शतक ठोका था लेकिन भारत,बांग्लादेश, श्रीलंका के खिलाफ उनका बल्ला शांत ही रहा था. मोहम्मद रिजवान ने जरूर श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ अर्धशतक जमाए थे लेकिन उनको साथ नहीं मिला था. फखर जमां, इमाम उल हक, इफ्तिखार अहमद की फॉर्म में निंरतरता नहीं है.
भारत में पहली बार खेलेंगे
वहीं पाकिस्तान के बल्लेबाजों के पास भारत में खेलने का अनुभव नहीं है. जो टीम पाकिस्तान ने चुनी है उसमें कोई भी बल्लेबाज ऐसा नहीं है जिसके पास भारतीय पिचों पर खेलना का अनुभव हो. भारत की पिचों पर खेलना आसान नहीं है, खासकर चेन्नई जैसी पिच पर जहां स्पिनरों का बोलबाला रहता है. भारत की पिचें धीमी और स्पिनरों की मददगार हैं और इन पिचों पर खेलना किसी भी स्तर के बल्लेबाज के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है.पाकिस्तान के लिए ये भी बड़ी समस्या होने वाली है.
पाकिस्तानी स्पिनर बेदम
स्पिनरों की मददगार पिच होने के बाद भी टीम के पास ऐसे स्पिनर होने चाहिए जो पिच का फायदा उठा सकें लेकिन पाकिस्तान के पास बेहतरीन स्पिनरों की कमी है. शादाब खान उनके मेन स्पिनर हैं, लेकिन इस लेग स्पिनर की गेंदों में न ढंग की फ्लाइट है और न स्पिन. शादाब की गेंदों का टप्पा भी कोई खास नहीं जो स्पिनरों की ताकत होता है. टीम ने उस्मा मीर को चुना है जो लेग स्पिनर है, लेकिन उनके पास सिर्फ आठ मैचों का अनुभव है. मोहम्मद नवाज की स्पिन में कितना दम है ये वह काफी पहले ही दिखा चुके हैं. उनको मारना भारतीय बल्लेबाजों के लिए हमेशा आसान रहा है. एशिया कप श्रीलंका में खेला गया था और वहां भी स्पिनरों को मदद मिली थी लेकिन पाकिस्तान के स्पिनर फेल रहे थे जो बताता है कि टीम के पास अच्छे स्पिनरों की कमी है.
पेस बॉलिंग अटैक हुआ कमजोर
पाकिस्तान की ताकत उसकी तेज गेंदबाजी रही है. मौजूदा टीम की ताकत भी वही थी लेकिन वर्ल्ड कप से पहले उसका तेज गेंदबाजी अटैक बिगड़ गया है. नसीम शाह चोट के कारण वर्ल्ड कप से बाहर हो गए हैं. अब जिम्मेदारी शाहीन शाह अफरीदी और हारिस रऊफ के कंधों पर है. रऊफ भी चोट से वापसी कर रहे हैं तो अपनी पूरी लय में कब तक लौटेंगे ये भी सवाल है. नसीम का जाना पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है क्योंकि शाहीन, नसीम और रऊफ की तिकड़ी का सामना करना अच्छे से अच्छे बल्लेबाजों के बस के बाहर था. ये तीनों एक यूनिट के तौर पर शानदार करते हैं लेकिन एक गेंदबाज के जाने से लय पर असर पड़ेगा. वहीं पाकिस्तान के किसी भी गेंदबाज के पास भारत में गेंदबाजी करने का अनुभव नहीं है और ऐसे में अगर इनके खिलाफ बल्लेबाज जमकर रन कूटें तो हैरानी नहीं होगी.