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पसमांदा नेता अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री के पसमांदा प्रेम पर उठाया सवाल

लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के मुस्लिम मंत्री व कई आयोगों/बोर्डो के अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद व विधान परिषद के सदस्यों व पार्टी के अंदर बैठे मुस्लिम पदाधिकारियों से पूछना चाहता हूँ कि जब इस्लाम व पसमांदा मुसलमानों पर अत्याचार होता है तो भाजपा नेता धार्मिक उन्माद फैला कर नफरती/आमर्यादित भाषण क्यों देते हैं। मुस्लिम लड़कियों को बहला फुसला कर लव ट्रैप का शिकार बनाते हैं। मुस्लिम युवाओं को फ़र्ज़ी मुक़दमों में फंसा कर जेल भेजते हैं।

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धर्म के नाम पर मुस्लिम युवाओं का माबलिंचिंग करते हैं। यह बतायें कि उक्त मुद्दों पर बोलने का साहस क्यों नहीं जूटा पाते हैं। इनको डर है कि इन मुद्दों पर मुंह खोलेंगे तो इनको पार्टी व राजनीतिक सभी पदों से मुक्त कर दिया जायेगा। यह पसमांदा वही लोग हैं जो अपने निजी स्वार्थ के लिये पार्टी का झंडा ढोते रहते हैं इनकी ना तो पसमांदा समाज में कोई हैसियत है और ना ही मुसलमानो में।

पसमांदा नेता अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री के पसमांदा प्रेम पर उठाया सवाल

अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रधानमंत्री के पसमांदा प्रेम का एक वर्ष पूरा हो चुका है अभी तक वह लगातार पसमांदा मुसलमानो की बदहाली पर बोल ही रहे हैं, ना तो समाज के उत्थान के लिए कोई कार्य योजना बनाई है और ना ही अभी तक आरक्षण की व्यवस्था?

अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रधानमंत्री सच में अगर पसमांदा मुसलमानो के हितैषी हैं तो उन्हें 2024 लोक सभा चुनाव से पूर्व पसमांदा मुसलमानो के उत्थान के लिये कुछ ठोस कदम उठाना पड़ेगा ताकि पिछड़े मुसलमानो में प्रधानमंत्री जी के प्रति विश्वास पैदा हो सके। अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज इनपर कैसे विश्वास करे एकतरफ पसमांदा की बदहाली पर चिंता जताते है दूसरी तरफ पूर्व की सरकारों द्वारा पसमांदा /पिछड़े मुस्लिम को दी गयी सुविधाएं समाप्त कर रहे हैं।

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धारा 341 के पैरा 3 के अंतर्गत पिछड़े /दलित मुसलमानो को 1936 से 1950 तक हिन्दू दलितों के भांति आरक्षण मिलता था इस आरक्षण को कांग्रेसी सरकार ने 1950 में प्रतिबंध लगा दिया जिसका मुक़दमा न्यायलय में पेंडिंग था। केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करना था जिस से मुक़दमा चालू हो सके, प्रधानमंत्री ने जवाब दाखिल तो किया वह भी पसमांदा /दलित मुसलमानो के खिलाफ है।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद फेलोशिप के माध्यम से पसमांदा मुसलमानो के होनाहार बच्चे उच्च शिक्षा में कामयाब होने लगे थे अभी हाल ही में सरकार ने बंद करा दिया।

देश के कई प्रदेशों में आर्थिक तौर से कमज़ोर मुसलमानो को वहां की राज्य सरकारें 4 प्रतिशत आरक्षण पसमांदा को देती थीं कर्नाटका में वह भी ख़त्म करदिया और जिन राज्यों में मिल रहा है वह भी खत्म करने की तैयारी है।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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