• राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने कहा- प्रधानमंत्री जी 5 किलो गेहूं-चावल से पसमांदा मुसलमानों का भला नहीं होने वाला
• पसमांदा मुसलमान राजनीतिक पार्टियाें का वोट बैंक नहीं बनेगा
• बीजेपी की जल्द ही देशभर में निकलने वाली पसमांदा यात्रा को ढकोसला बताया
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि देश के पसमांदा मुसलमानों का भला 5 किलो गेहूं-चावल देने की योजना से नहीं हो सकता। पसमांदा मुसलमानों की तकलीफ अलग है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उस तकलीफ के लिए अलग से दवा देनी चाहिए। श्री मंसूरी मंगलवार को शेफ बाईट बैंकेट अलीगंज में आयोजित पसमांदा समाज की राष्ट्रीय एवं राज्य कार्यकारिणी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
बैठक में विभिन्न प्रदेशों से आए पदाधिकारियों ने एकमत से कहा कि अब पसमांदा मुसलमान राजनीतिक पार्टियाें का वोट बैंक नहीं बनेगा। अगर प्रधानमंत्री पसमांदा मुसलमानों के लिए कोई सटीक कार्य योजना बनाकर उसको अमलीजामा नहीं बनाते हैं तो देश का पसमांदा मुसलमान अपना फैसला करने के लिए खुद सक्षम है।
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अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसमांदा मुसलमानों का दर्द भली-भांति पता है लेकिन वह चाहते हैं कि 5 किलो गेहूं चावल जैसी आम सरकारी योजनाओं की गिनती करवा कर पसमांदा मुसलमानों हो बीजेपी की तरफ आकर्षित कर लें। इसी को लेकर के बीजेपी जल्द ही देशभर में पसमांदा यात्रा निकालने की तैयारियों मैं जुटी है। अनीस मंसूरी ने कहां कि 80 फ़ीसदी आबादी वाला पसमांदा मुसलमान उस समय से ठगा जा रहा है जब सन 1950 में तत्कालीन कांग्रेस पार्टी ने संविधान के अनुच्छेद 341/3 पर राष्ट्रपति के जरिए एक अध्यादेश पाबंदी लगा दी थी। तब से आज तक 73 साल हो गए और कई पार्टियों की सरकारें आई लेकिन किसी ने भी पसमांदा मुसलमानों की सुध नहीं ली।
अनीस मंसूरी ने कहा कि पिछले साल 3 जुलाई को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों की बदहाली पर जो वक्तव्य दिया था उससे देश के पसमांदा मुसलमानों को लगा था कि सारी राजनीतिक पार्टियों से अलग एक ऐसा भी प्रधानमंत्री है जो इतनी गंभीरता से उनकी समस्याओं को समझता है। प्रधानमंत्री पिछले एक वर्ष से सिर्फ पसमांदा मुसलमानों की बदहाली बयान करके पिछली सरकारों को कोसते आ रहे हैं।
अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रधानमंत्री अगर पिछली सरकारों ने पसमांदा मुसलमानों की बदहाली दूर करने के लिए कोई काम नहीं किया है तो आप भी तो यही काम कर रहे हैं। आप भी सिर्फ बातें ही कर रहे हैं आपने अभी तक पसमांदा मुसलमानों के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई है।
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अनीस मंसूरी ने कहा कि देश के पसमांदा लफ्ज़ को कोइ जानता भी नहीं था, मैंने इसकी शुरुआत 15 वर्ष पूर्व की थी तब पसमांदा के बारे में लोग तरह तरह के कमेंट्स करते थे लेकिन पसमांदा मुस्लिम समाज का कारवां बढ़ता रहा और हम लोगों ने सभी राजनैतिक दलों में, सामाजिक संगठनों में, मीडिया में, नौकरशाहों में अपने दम पर पहचान बनाने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि आज पसमांदा मुस्लिम समाज देश के 8 राज्यों में सांगठनात्मक ढंग से काम कर रहा है और देश के सभी राज्यों में धीरे धीरे अपने दम पर संगठित हो रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव हाजी अंजुम अली एडवोकेट ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री लगातार पिछले एक वर्ष से पसमांदा मुसलमानो को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं और पार्टी के कुछ चाटूकार नेताओं को लगा कर पसमांदा स्नेह यात्रा चलाने जा रहे हैं इस से पसमांदा मुसलमानो का कुछ भला होने वाला नहीं है। जिन नेताओं को भारतीय जनता पार्टी ने स्नेह यात्रा चलाने का दायित्व सौंपा है उनकी ना तो पसमांदा समाज में कोई हैसियत है और ना मुसलमानो में और ना ही इन्होने कोई पसमांदा के लिए प्रधानमंत्री के बयान से पूर्व कोई आवाज उठाई है।
प्रधानमंत्री जब तक आप पसमांदा मुसलमानो के लिए लोक सभा चुनाव 2024 से पहले कुछ करेंगे नहीं स्नेह यात्रा चलाने से भाजपा को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। इस अवसर पर मुख़्तार मंसूरी आँवला, हाजी अंजुम अली एडवोकेट, राष्ट्रीय महासचिव, वसीम राईनी प्रदेश अध्यक्ष, हाजी हनीफ मंसूरी कानपुर, हाजी नसीम मंसूरी मण्डल अध्यक्ष खुर्शीद आलम सलमानी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी, तहसीन मंसूरी, चौधरी यामीन मंसूरी, चौधरी अब्दुल सत्तार मंसूरी, तनवीर मंसूरी मुज़फ्फरनगर, डॉ इक़बाल मंसूरी डॉ इस्लाम सिद्दीकी, डॉ अज़ीज़ अहमद बबलू मंसूरी, हाजी शब्बन मंसूरी, ज़िला अध्यक्ष पप्पू कुरैशी, राजू कुरैशी, शेर मोहम्मद मंसूरी ज़ाहिद मंसूरी रेवसा, हाजी ज़बीउल्लाह मंसूरी रहीम बख्श मंसूरी, अंसार मंसूरी माहोबा, नूरुद्दीन मंसूरी तस्नीम एडवोकेट औरैया, हाजी फहीमुद्दीन मंसूरी गुड्डू वारसी, भोरे मंसूरी इटावा, रईस मंसूरी मुर्गे वाले गुड्डू मंसूरी, राजू मंसूरी वकील अहमद मंसूरी कानपुर, शकील मंसूरी, मुरादाबाद सईद एडवोकेट कोंच वाजिद सलमानी, सलीम मंसूरी बाँदा के अलावा काफी तादाद में मौजूद थे।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी