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आरपीएफ के महानिदेशक ने किया राष्ट्रीय आरपीएफ शहीद स्मारक और रेलवे सुरक्षा संग्रहालय का उद्घाटन

लखनऊ। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक संजय चंदर ने बीते 24 जुलाई को जगजीवन राम आरपीएफ अकादमी, लखनऊ में राष्ट्रीय आरपीएफ शहीद स्मारक का समर्पण किया और राष्ट्रीय रेलवे सुरक्षा संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित हुए।

बताते चलें कि राष्ट्रीय आरपीएफ शहीद स्मारक वीर शहीदों का गौरवपूर्ण सम्मान है जिन्होंने अपने कर्तव्य के माध्यम से अंतिम बलिदान दिया। शहीद स्मारक का क्षेत्रफल 4800 वर्ग फीट है, स्मारक में एक 13 फीट ऊँचा शहीद स्मारक संरचित किया गया है, जो 16 फीट ऊँची दीवार पर स्थित है। 1970 से आज तक के 1040 आरपीएफ शहीदों के नाम चार इस्पात की प्लेटों पर लिखे गए हैं, जो उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेज कर रखेंगे।

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अपने सम्बोधन में महानिदेशक संजय चंदर ने सभी अधिकारियों के प्रति दिल से आभार व्यक्त किया जिन्होंने रेल एवं रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह स्मारक आरपीएफ अधिकारियों की अटल सेवा और समर्पण की निरंतर याददाश्त के रूप में कार्य करता रहेगा। उनके साहस और निःस्वार्थ सेवा भाव सभी रेलवे सुरक्षा बल के सदस्यों को सर्वोच्च सेवा और समर्पण के मानकों को पालन करने के लिए सदैव प्रेरित करेंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रीय रेलवे सुरक्षा संग्रहालय (एनएमआरएस) का उद्घाटन भी हुआ, जो रेलवे सुरक्षा बल की समृद्ध विरासत और धरोहर को समाहित किए हुए है। संग्रहालय का सूत्रवाक्य “ज्ञानवर्धनाय च संरक्षणाय ” (ज्ञान की समृद्धि और धरोहर का संरक्षण) रेलवे सुरक्षा बल के ज्ञान के लिए निरंतर प्रयास और इसके गरिमामय इतिहास के संरक्षण से संबंधित है।

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एनएमआरएस प्रारंभ से वर्तमान तक की रेलवे सुरक्षा बल की महान यात्रा को दर्शाता है, यह रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारियों के महत्वपूर्ण योगदान और उपलब्धियों को प्रमुखता देते हुए, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और बल के प्रत्येक सदस्य में गर्व और जवाबदेही की भावना को स्थापित करता है। इस संग्रहालय में एक दर्शक को रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास, उत्पत्ति, उपलब्धियां, कर्तव्य और जिम्मेदारियों का पूरा दृष्टिकोण मिलता है।

संग्रहालय कुल 9000 वर्ग फीट पर फैला है, जिसमें 37 विषयगत प्रदर्शन पैनल, 11 प्रदर्शनी कैबिनेट, 320 वर्ग फीट के इनफोग्राफिक इतिहास, 87 वस्त्र, 500 पृष्ठों वाली भारतीय राष्ट्रीय अभिलेख, बीते हुए युद्ध काल के 36 शस्त्र, सुरक्षा से संबंधित 150 रेलवे सामग्री, भारतीय रेलवे सुरक्षा बल के विभिन्न रैंकों के 15 मैन्युकिंस और कई अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियों का प्रदर्शन है। इवेंट के दौरान, केंद्रीय बख्तरबंद लड़ाकू वाहन डिपो, पुणे से प्राप्त वॉर ट्रॉफी T-55 टैंक, जो अकादमी कैंपस में स्थापित किया गया है, का अनावरण भी महानिदेशक द्वारा किया गया जो अकादमी को शक्ति और शौर्य की प्रतीकता से जोड़ता है।

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नवनिर्मित बैडमिंटन और लॉन टेनिस कोर्ट का भी उद्घाटन किया गया जो अधिकारियों को खेल की सुविधाएं प्रदान करने के लिए हैं, जो स्वस्थ और संतुलित जीवन को बढ़ावा देंगे। महानिदेशक ने आरपीएफ के विशेष बैंड को भी आरपीएफ बल को समर्पित किया और बल के लिए नए स्पोर्ट्स ड्रेस का अनावरण किया। प्रशिक्षण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों पर महानिदेशक द्वारा एक बैठक आयोजित की गई जो आरपीएफ की सजगता और उन्नयन के प्रति बल की समर्पणता को प्रतिबिंबित करती है।

महानिदेशक संजय चंदर ने बताया कि राष्ट्रीय आरपीएफ शहीद स्मारक एवं राष्ट्रीय रेलवे सुरक्षा संग्रहालय, बल की सभी पुरानी कड़ियों को जोड़ने, भूली हुई कथाएँ समेटने और बल के अद्भुत विकास को दस्तावेज़ीकरण करने की ओर पहला कदम है। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के दृष्टिकोण में, उन्होंने बल की सेवा में राष्ट्र के एकता और अखण्डता के साथ कटिबद्धता का संकल्प स्पष्ट किया।

कार्यक्रम में, आरपीएफ के वरिष्ट अधिकारियों में आईजी-सह-पीसीएससी-एनसीआर एएन सिन्हा, आईजी-सह-पीसीएसी-एनआर एएन मिश्रा, आईजी-सह-पीसीएसी-एनईआर तारिक अहमद, आईजी-सह-पीसीएसी-आरपीएसएफ सुमति शांडिल्य, आईजी-सह-पीसीएससी-डब्ल्यूसीआर प्रदीप गुप्ता, आईजी-सह-पीसीएससी-एमसीएफ रमेश चंद्र, डीआईजी आरडीएसओ संतोष दुबे, डीआईजी प्रशिक्षण डॉ एएन झा, डीआईजी स्थापना सरिका मोहन, सीएम मिश्रा सीनियर डीएससी लखनऊ एनईआर, सहरिश सिद्दीकी सीनियर कमांडेंट तीसरी बटालियन आरपीएसएफ, डॉ श्रेयंश चिंचवडे सीनियर डीएससी एलकेओ एनआर, और अन्य प्रतिष्ठित अधिकारी मौजूद थे। राष्ट्रीय आरपीएफ शहीद स्मारक और राष्ट्रीय रेलवे सुरक्षा संग्रहालय के समर्पण से रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास में महत्वपूर्ण पल एवं निशान अंकित हुए हैं। ये प्रयास आने वाले समय में रेलवे सुरक्षा बल के सदस्यों को राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का स्मरण दिलाने वाले रहेंगे।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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