भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) (एनएचएआई) ने दिल्ली में तीन हाई-स्पीड कॉरिडोरों के तीन हिस्सों पर दो-पहिया वाहनों, तीन-पहिया वाहनों और अन्य धीमी रफ्तार से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसला से तीन प्रमुख हाईवे प्रभावित होंगे- NH-344M (एनएच-344एम), NH-248BB (एनएच-248बीबी) और NH-48 (एनएच-48) का दिल्ली-गुरुग्राम खंड।
एनएच-344एम दिल्ली में भातल गांव के पास एनएच-44 के साथ अपने जंक्शन से शुरू होता है और नरेला, मुंडका, नजफगढ़, द्वारका को जोड़ता है, जो दिल्ली में भार्थल चौक के पास एनएच-248 बीबी के साथ अपने जंक्शन पर खत्म होता है। एनएच-248बीबी शिव मूर्ति के पास एनएच 48 के साथ अपने जंक्शन से शुरू होता है, जो दिल्ली हरियाणा सीमा से जुड़ता है और हरियाणा में एनएच 48 पर खेड़की दौला के पास खत्म होता है। आखिर में, एनएच-48 का दिल्ली-गुरुग्राम खंड आरटीआर फ्लाईओवर से खेड़की दौला यूजर फीस प्लाजा तक फैला हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचएआई ने 11 जनवरी, 2024 के अधिसूचना में कहा है कि तेज रफ्तार वाले वाहनों की मौजूदगी धीमी रफ्तार वाले वाहनों जैसे दोपहिया वाहनों, तिपहिया वाहनों, गैर-मोटर चालित वाहनों और कृषि ट्रैक्टरों (ट्रेलरों के साथ या बिना) की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। इन वाहनों के बीच रफ्तार का अंतर सड़क सुरक्षा से समझौता कर सकता है।
इस चिंता को दूर करने के लिए, एनएचएआई ने “राष्ट्रीय राजमार्ग (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2002” की धारा 35 के तहत अपने अधिकार का हवाला देते हुए इन राजमार्गों पर तिपहिया वाहनों (ई-कार्ट और ई-रिक्शा सहित), गैर-मोटर चालित वाहनों, कृषि ट्रैक्टरों (ट्रेलरों के साथ या बिना), मल्टी-एक्सल हाइड्रोलिक ट्रेलर वाहन और क्वाड्रिसाइकिल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अधिसूचना यह भी बताती है कि इन हाईवे को हाई-स्पीड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है। जिनमें मोटर वाहनों के लिए निर्धारित अधिकतम गति सीमा है। इसके अलावा, इन हाईवे के विकास से पहले जनता के लिए वैकल्पिक मार्ग, सर्विस रोड और संपर्क मार्ग उपलब्ध हैं। यह प्रतिबंध सड़क सुरक्षा को बढ़ाने और वाहनों के बीच स्पीड के अंतर से जुड़े जोखिमों को कम करने का लक्ष्य रखता है।
इस बीच, सड़क परिवहन मंत्रालय ने लगभग 41,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विस्तार का प्रस्ताव रखा है। महत्वाकांक्षी योजना में 15,000 किलोमीटर हाई-स्पीड कॉरिडोर का विकास शामिल है, जो कंट्रोल्ड एक्सेस रूट (नियंत्रित-पहुंच मार्ग) बनेंगे। इसके पूरा होने का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2031-32 है, जिसका अनुमानित निवेश 19.5 लाख करोड़ रुपये है।