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पितृपक्ष: घर पर इस विधि से करें अपने पूर्वजों का श्राद्ध

कोरोना काल में अधिकतर देखने और सुनने में आया है कि कुछ पंडित ऑनलाइन श्राद्ध करवा रहे हैं और ऑनलाइन ही दक्षिणा भी ले रहे हैं। श्राद्ध कर्म में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते बड़ी संख्या में पुरोहितों की ऑनलाइन बुकिंग की जा रही है। जहां पंडित ऑनलाइन ही पितरों की शांति के लिए पूजा करवा रहे हैं।

अगर आप भी पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों के नाम से पूजा-पाठ कराने की सोच रहे हैं और उसके उसके पंडित जी मौजूद नहीं है तो आप घर पर रहकर ही श्राद्ध पूजा कर सकते हैं। इसकी पूरी विधि हम आपको बताने जा रहे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए विधि विधान करने के लिए श्रद्धालु पंडितों के ना मिलने से लोग परेशान हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि उसका विकल्प नहीं है। अगर आपको ब्रम्हभोज के लिए ब्राम्हण नहीं मिल रहे तो आप ब्रम्ह भोज के नाम पर कौवे, कुत्ते और गाय का ग्रास निकाल सकते हैं। इसके अलावा गरीबों को खाना खिलाना, वृद्ध आश्रम, कुष्ठ आश्रम, अनाथालय एवं जरूरतमंदों को भोजन करवा कर व जरूरी सामान देकर पितरों की आत्मा शांति की प्रार्थना करें।

घर पर श्राद्ध करने की विधि

  • पितरों का नाम लेकर उनका सच्चे मन से ध्यान करें।
  • पंचवली यानि पितरों, कौवे, कुत्ते, चींटी व ब्राह्मण का भोजन निकाल उन्हें खिलाएं।
  • सूर्योदय से पहले कुशा से पितरों को जल अर्पित करें, इससे अक्षय प्राप्ति होती है।
  • पितरों के नाम से निमित्त विष्णु सहस्रनाम व रामचरित मानस का पाठ करें।
  • काले तिल डालकर जल को पीपल को अर्पण करें।
  • पूर्णमासी के दिन सामर्थ्य अनुसार श्रीमद्भागवत कथा की पोथी को सजाकर ब्राह्मण को दान दें।

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