प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन एफएओ की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया. साथ ही उन्होंने हाल ही में विकसित की गई आठ फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी राष्ट्र को समर्पित किया.
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के किसान, कृषि वैज्ञानिक, आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं. इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इन सभी के प्रयासों से ही भारत, कोरोना के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है. प्रधानमंत्री ने विश्व खाद्य कार्यक्रम को 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे जाने का जिक्र करते हुए इसमें भारत के योगदान का उल्लेख किया. उन्होंने इसमें भारत के प्रशासनिक सेवा अधिकारी बिनय रंजन सेन की भूमिका से सबको अवगत कराया. सेन ने एफओए के महानिदेशक के रूप में 1956 से 1967 तक काम किया था. सेन के कार्यकाल के दौरान ही विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना की गई थी.
पीएम मोदी ने कहा कि एफएओ के विश्व खाद्य कार्यक्रम को इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है और भारत को खुशी है कि इसमें भी हमारी साझेदारी और हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है. देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं.
यह कार्यक्रम सरकार द्वारा कृषि और पोषण क्षेत्र को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता को समर्पित है और साथ ही भूख, अल्पपोषण और कुपोषण को पूरी तरह से खत्म करने के सरकार के संकल्प को परिलक्षित करता है. इस कार्यक्रम में देश भर के आंगनवाड़ी, कृषि विज्ञान केंद्र और जैविक व बागवानी अभियान से जुड़े लोग भी शामिल हुए.