लखनऊ। राजधानी की पुलिसिया नाक़ामी का ख़ामियाज़ा, एक पिता और उसके परिवार को किस क़दर आहत करता होगा, शायद इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकेगा। दिल का दर्द तब और बढ़ जाता होगा, जब चाह कर भी अपने बच्चे के क़ातिल को न ढूंढ पाने की छटपटाहट उसे कचोटती होगी। महीने भर पहले, जब नहर में डूबे अपने बच्चे की लाश देखी होगी, तब उसके सुनहरे भविष्य की रात-दिन कल्पना करने वाले उस पिता का दिल ‘धक्क’ से रह गया होगा! ज़ाहिर है, कि पुलिस तक बात तो पहुंची ही होगी मगर, एक महीने बाद भी योगी के राज में पुलिस, क़ातिल का सुराग तक नहीं ढूंढ सकी।
क्या हुआ था? कब हुआ था? कहाँ हुआ था?
पुलिस को दी गयी तहरीर के मुताबिक, हिम सिटी पार्ट-2 के निवासी, दिनेश बाजपेई का बेटा प्रशांत उर्फ कृष्णा, अपने दोस्तों- प्रभात और और रजत के साथ स्कूल के लिए निकला था। दोपहर के 12 बजते-बजते एक अनजान नम्बर- ‘8299802373‘ से, पिता दिनेश के फोन पर एक मनहूस खबर आयी, कि उनका बेटा प्रशांत, इंदिरा नहर में डूब गया है। आनन-फानन में जब दिनेश अपने रिश्तेदारों के साथ, मौक़ा-ए-वारदात पर पहहुंचे, तब वहां प्रशांत के कपड़े, साइकिल, और स्कूल का बैग पड़े मिले। वहां पर प्रशांत के दोस्त प्रभात और रजत के न मिलने पर, दिनेश ने फौरन 112 और 1076 पर फोन से सूचना दी। जिसके बाद, चिनहट पुलिस और SDRF की टीम मौक़े पर पहुंची। नहर में पुलिस ने काफी देर तक प्रशांत को तलाश किया मगर, नाक़ामी के सिवाय और कुछ हाथ नहीं लग सका।
कब मिली पुलिस को लाश?
यह घटना महीना भर पहले, यानी 14 दिसंबर, 2021 की है, उस दिन प्रशांत जो विज़्डम वे प्रोग्रेसिव इण्टर कालेज में कक्षा 6 में पढ़ता था, अपने दोस्तों के साथ, घर से स्कूल जाने को कह कर निकला था। चिनहट पुलिस को खबर मिलने के बाद, प्रशांत की काफी खोज बीन हुई। उम्मीद थी कि शायद वो ज़िंदा मिल जाए। क़रीब 6 दिन की खोज-बीन के बाद, 20 दिसंबर, 2021 को पुलिस को प्रशांत की लाश नहर में मिली। जिसके बाद लाश को पोस्टमोर्टम के लिए भेज दिया गया।
दिनेश बाजपेई ने रजत और प्रभात के खिलाफ दर्ज कराई FIR
प्रशांत घर से निकला तो अपने दोस्तों के साथ ही था लेकिन, मौक़ा-ए-वारदात पर प्रभात और रजत नदारद थे। पुलिस को दी तहरीर के मुतबिक, प्रशांत के पिता दिनेश को पूरा विश्वास है कि उन दोनों ने ही प्रशांत को रंजिशन मार कर नहर में फेंक दिया है। दिनेश ने पुलिस से रिपोर्ट दर्ज़ करने और उस पर वैधानिक कार्यवाही करने की माँग की थी।
अब तक कहाँ तक पहुंच पायी है पुलिसिया कार्रवाई
इस घटना को बीते हुए आज एक महीना हो चुका है, मगर राजधानी की पुलिस अपनी लापरवाही से बाज़ आती नहीं दिख रही है। नतीजा ये है कि आज एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन, पुलिस को आज तक क़ातिल का सुराग तक नहीं मिल सका है। ये अलग बात है कि राजधानी लखनऊ में कमिशनरेट सिस्टम लागू है और योगी सरकार की हाईटेक पुलिस पलभर में अपराधियों को पकड़कर सीखचों के पीछे पहुंचाने का दावा करने में तनिक भी देर नहीं लगाती है!
रिपोर्टर- अंशुल गौरव