यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे ने आगाह किया है कि वायु प्रदूषण की विषाक्तता बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्रभावित कर सकती है और भारत व दक्षिण एशिया में गहराते इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया।
हाल ही में भारत का दौरा कर चुकीं फोरे ने बुधवार को कहा, “मैंने अपनी आंखों से देखा है कि बच्चे वायु प्रदूषण के भयानक परिणामों से किस तरह लगातार पीड़ित हो रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “वायु गुणवत्ता एक संकट के स्तर पर थी। आप वायु शोधक मास्क लगाने के बाद भी विषाक्त धुंध की गंध का अहसास कर सकते हैं।”
फोरे ने कहा कि वायु प्रदूषण बच्चों पर सबसे ज्यादा असर डालता है और यह उनके जीवन को लगातार प्रभावित करता रहता है, क्योंकि उनके फेफेड़े अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, और वे वयस्कों की बनिस्बत दोगुना तेजी से सांस लेते हैं तथा उनमें प्रतिरक्षण क्षमता की कमी होती है। उन्होंने कहा, “यह शिशुओं और छोटे बच्चों में मस्तिष्क के ऊतक को क्षतिग्रस्त करता है और उनमें संज्ञानात्मक विकास को रोकता है, जिसका खामियाजा वे पूरे जीवन भुगतते हैं और उससे उनकी सीखने-समझने की क्षमता और भविष्य प्रभावित होता है। इस बात के सबूत हैं कि उच्च स्तर के वायु प्रदूषण में रह चुके किशोरों को अपेक्षाकृत अधिक मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।”