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दिल्ली के बाद UP के वकीलों ने की बगावत, इन मांगों को लेकर मना रहे विरोध दिवस

दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश के वकीलों ने भी बगावत शुरू कर दी है। आज यानी शुक्रवार को यूपी के वकील अपनी विभिन्न मांगो को लेकर विरोध दिवस मनाते हुए काम काज बंद रखेंगे। उत्तर प्रदेश के बार काउंसिल ने वकीलों का आह्वान करते हुए सरकार को ज्ञापन सौंप कर विरोध जताने को कहा है।

बार काउंसिल के फैसले का सम्मान करते हुए यूपी हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच की अवध बॉर एसोसिएशन और अधीनस्थ अदालतों के वकीलों ने भी अदालती काम न करने की घोषणा की है। बार काउंसिल के चेयरमैन हरि शंकर सिंह का कहना है कि बीते दिनों में कई वकीलों की हत्याएं हुई, लेकिन अब तक कई मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

बार काउंसिल की मांग है कि वकीलों की सुरक्षा के लिए अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लाया जाए। इसके साथ ही बार काउंसिल ने ये भी मांग की है कि पुलिसकर्मियों को किसी भी कोर्ट में हथियार लेकर प्रवेश करने से रोका जाए।

वहीं यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति से मृतक वकीलों के सालों से पेंडिंग मामलों का निस्तारण भी किया जाए। काउंसिल ने कहा है कि अब सरकार की घोषणा के अनुसार वकीलों को प्रोत्साहन भत्ता नहीं मिला है इसलिए वो भी दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।

इसके अलावा अधिवक्ता भविष्य निधि की राशि बढ़ाने की मांग भी की गई है। काउंसिल की मांग है कि भविष्य निधि की राशि को सवा लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक किया जाए। इसके साथ ही दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुए विवाद को लेकर भी काउंसिल ने मांग रखी है।

काउंसिल की मांग है कि इस विवाद के चलते घायल वकीलों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रशांत सिंह अटल जो कि बार काउंसिल के उपाध्यक्ष भी हैं उन्होंने भी वकीलों से विरोध दिवस मनाने की अपील की है।

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