हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए दौड़ में सबसे आगे चल रहीं प्रतिभा सिंह रेस से बाहर हो गईं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के पूर्व चीफ सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीपीएल नेता मुकेश अग्निहोत्री और पार्टी नेता राजिंदर राणा दौड़ में शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के लिए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चुनाव काफी कठिन साबित होता दिख रहा है।उधर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह की दावेदारी इसलिए खत्म मानी जा रही है क्योंकि हिमाचल प्रदेश चीफ के समर्थकों ने उनके समर्थन में छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल के सामने नारेबाजी की थी।
शुक्रवार को प्रतिभा सिंह के समर्थक बड़ी संख्या में कांग्रेस शिमला मुख्यालय के बाहर जमा हो गए और उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे थे। कांग्रेस आलाकमान के करीबी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की दौड़ में केवल तीन नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और राजिंदर राणा हैं।
कांग्रेस के सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री विधायकों में से ही होगा। आलाकमान को लगता है कि अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो दो उपचुनाव कराने होंगे। एक लोकसभा का, दूसरा विधान सभा का। आलाकमान के करीबी सूत्रों ने प्रतिभा सिंह के 25 विधायकों के समर्थन के दावे को भी खारिज कर दिया।
सूत्रों ने आगे कहा कि प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को उन्हें संभालने के लिए कैबिनेट में उच्च पद दिया जा सकता है। ऐसे में जब कांग्रेस मंडी की 10 में से 9 सीटों पर हार गई है, तो तुरंत उपचुनाव कराना उचित नहीं होगा। कहीं चुनाव जीतकर जो माहौल बनाया गया है, वह बिगड़ सकता है।
इससे पहले शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों ने मुख्यमंत्री चुनने का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित किया और दिल्ली में सीएम के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी।
एआईसीसी के राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में इस फैसले की घोषणा की। कांग्रेस के पास पीसीसी प्रमुख प्रतिभा सिंह, पूर्व पीसीसी प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू और पिछले सदन में सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री के नाम दावेदारों के रूप में है।
शुक्ला ने कहा कि मीडिया की खबरें कि पार्टी के अंदर फूट है, बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा, “सभी 40 विधायकों ने आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा लिया और सभी ने सर्वसम्मति से राज्य के मुख्यमंत्री के चयन का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित किया।”
उन्होंने कहा, “मीडिया की खबरें हैं कि पार्टी के अंदर विभाजन है, यह बिल्कुल गलत है।” शुक्ला ने कहा कि किसी विधायक ने कोई नाम नहीं सुझाया। उन्होंने कहा, “सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया कि मुख्यमंत्री चुनने का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ा जाए। हम अपनी रिपोर्ट कल पार्टी आलाकमान को सौंपेंगे।”