कोरोना वायरस महामारी के बीच अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार के प्रयासों के तहत व्यापार मंत्रालय नए निवेश लाने वाली कंपनियों के लिए टैक्स में रियायत देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. पहचान न जाहिर करते हुए संबंधित लोगों ने बताया कि वित्त मंत्रालय द्वारा 500 मिलियन डॉलर (लगभग 3770 करोड़ रुपए) से ऊपर का नया निवेश करने वाली कंपनियों को 10 साल की पूर्ण टैक्स छूट देने के प्रस्ताव का मूल्यांकन किया जा रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़े लोगों ने उसे बताया कि इस योजना के तहत कंपनियों को एक जून से तीन साल के भीतर परिचालन शुरू करना होगा और इसमें मेडिकल उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम इक्विपमेंट्स और कैपिटल गुड्स जैसे क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा.
इसी तरह श्रम-गहन क्षेत्रों जैसे कपड़ा, फूड प्रॉसेसिंग, चमड़ा और जूते के क्षेत्र में 100 मिलियन डॉलर (लगभग साढ़े सात सौ करोड़ रुपए) से ज्यादा का निवेश लाने वाली कंपनियों को चार साल की टैक्स छूट मिलेगी. बाकी अगले छह वर्षों के लिए 10 प्रतिशत की निम्न कॉर्पोरेट टैक्स रेट प्रस्तावित है. प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय द्वारा अप्रूव किया जाना है और अभी तक इसने कोई निर्णय नहीं लिया है.
चीन को छोडऩे वाली कंपनियों के लिए फैक्ट्रीज के लिए आसानी से जमीन मुहैया करने से लेकर उन्हें लुभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशासन कोशिशें कर रहा है. ताकि कोरोनोवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को पहुंचने वाले नुकसान को रोका जा सके. दरअसल एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चार दशकों में पहली बार सिकुड़ती हुई दिख रही है और सरकार के सीमित राजकोष को देखते हुए भारत अब तक एक बड़ा प्रोत्साहन देने में विफल रहा है. यहां तक कि अनुमानित 12.20 करोड़ लोगों ने अप्रैल में नौकरियां खो दीं हैं और उपभोक्ता मांग में भी कमी दर्ज की गई है.