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प्रियंका वाड्राः सियासत यूपी में ठीकाना हरियाणा

सियासत की दुनिया अजब-गजब होती है। यहां कहा कुछ, और किया कुछ और जाता है। एक तरफ हमारे तमाम नेतागण राजनीति के माध्यम से समाज और देश सेवा का ढिंढोरा पीटते हैं तो वहीं दूसरी तरफ कड़वी सच्चाई यह होती कि अधिकांश नेताओं के लिए राजनीति देश और समाज सेवा से अधिक भोग-विलास की ‘वस्तु’ होती है। इसका ताजा उदाहरण हैं कांगे्रस महासचिव प्रियंका वाड्रा, जो दिल्ली के लुटियन जोन का सरकारी बंगला खाली करके गुरूग्राम में एक आलीशान विला में शिफ्ट होने जा रही हैं। प्रियंका को पहली अगस्त 2020 तक सरकारी बंगला खाली करना है। प्रियंका का गुरूग्राम शिफ्ट होना उनके परिवार का व्यक्तिगत मामला है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन हर छोटी-बड़ी बात पर सवाल खड़ा करने वालों का मुंह भी तो नहीं बंद किया जा सकता है। प्रियंका राजनीति में हैं और वह हमेशा विरोधियों खासकर भाजपा नेताओं पर हमलावर रहती है, बस इसी के चलते भाजपाई  प्रियंका और कांगे्रस से पूछ रहे हैं कि यदि प्रियंका को लखनऊ में रहना ही नहीं था तो फिर यह लोग प्रियंका वाड्रा के लखनऊ शिफ्ट होने की खबर क्यों उड़ा रहे थे। आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेसियों ने प्रियंका के लखनऊ मे शिफ्ट होने की फर्जी खबर उड़ाई तो प्रियंका वाड्रा ने भी इसका खंडन करना उचित नहीं समझा।

गौरतलब हो, बीते दिनों कांग्रेस में खूब चर्चा चली थी कि उत्तर प्रदेश की सियासत में ज्यादा समय देने के लिए प्रियंका वाड्रा लखनऊ में शिफ्ट होंगी।  कहा तो यहां तक गया था कांग्रेस की दिवंगत नेता शीला कौल का बंगला   प्रियंका के रहने के लिए तैयार किया जा रहा है। हो सकता है प्रदेश की जनता की आंखों में धूल झोकने के लिए शीला कौल के बंगले को भी प्रियंका का अस्थाई ठिकाना बन  जाए,लेकिन सियासत की दुनिया में किसी भी सच्चाई से जनता को ज्यादा दिनों तक बरगलाया नहीं जा सकता है।

खैर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से जो सरकारी बंगला खाली कराय जा रहा है,उसके पीछे की भी लम्बी कहानी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विवाहित बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा को 23 साल पहले 21 फरवरी 1997 में लोधी एस्टेट में 35 नंबर बंगला अलॉट किया गया था। कांग्रेसी राज में एसपीजी सुरक्षा के कारण प्रियंका को यह बंगला दिया गया था,लेकिन मोदी सरकार में प्रियंका की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के कारण प्रियंका वाड्रा को यह बंगला खाली करना पड़ रहा है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय का कहना है कि कानूनी रूप से एक सामान्य नागरिक प्रियंका वाड्रा सरकारी आवास पाने की हकदार नहीं हैं।

बहरहाल, बंगाल प्रियंका से खाली कराया जा रहा है,लेकिन कांग्रेस इसे खुद पर हमला समझ बैठी है। अगर कोई कांग्रेसियों के सामने सवाल खड़ा करता है कि बिना सांसद-मंत्री और अपने कई घर होतेे हुए भी वह पिछले 23 साल से सरकारी मकान में क्यों डेरा डाले हुए थी? तो ऐसे लोगों को कांगे्रसी बीजेपी वाला करार दे देती हैं। गांधी परिवार ने किस तरह देश की सम्पति पर कब्जा कर रखा है,इसका इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दस जनपथ में अकेली रहती हैं। उनका एकलौता कुंवारा सांसद बेटा राहुल गांधी उनके साथ नहीं रहता है। राहुल गांधी अकेले 12 तुगलक रोड में रहते हैं। बेटी प्रियंका अपने पति राबर्ट वाड्रा के साथ 35 लोदी एस्टेट बंगले में रहती हैं। सोनिया गांधी 10 जनपथ वाले जिस विशाल बंगले में रहती हैं, वो प्रधानमंत्री निवास से भी बड़ा है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों?

देश की राजनीति में कई दशकों से गांधी परिवार का प्रभुत्व रहा है। परिवार ने राजनीतिक प्रभाव के बल पर संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया है। व्यापारिक जगत में जमीन की दलाली करने वाले राबर्ट वाड्रा, प्रियंका गांधी के पति हैं। हाल ही में राजनीति में फुलटाइम प्रोफेशनल की तरह कदम रखने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा के काले कारनामों की एक लंबी सूची है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने शिमला से 13 किलोमीटर दूर छरबड़ा में 2007 में नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से अतिसंवेदनशील क्षेत्र में कई एकड़ जमीन लेकर अपना मकान बनाया। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदने के लिए यूपीए सरकार की वजह से प्रियंका गांधी वाड्रा को कानूनी रूप से विशेष ढील दी गई थी। प्रियंका के  पति राबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उसने राजस्थान और हरियाणा में कांग्रेस सरकारों के सहयोग से कौड़ियों के भाव किसानों की जमीन खरीद कर हजारों करोड़ में बड़े व्यापारियों को बेच दिया। कहा जाता है कि दलाली के इसी पैसे से उसने लंदन जैसे शहरों में आलीशन घर खरीदे हैं। इन्ही मामलों में वाड्रा अभी जमानत पर चल रहे हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा महज 10वीं पास है, लेकिन उनकी संपत्ति दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ रही है। 2004-14 के यूपीए शासनकाल में उनकी संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी। उनकी या उनकी कंपनी की देशभर में घोषित या बेनामी प्रॉपर्टी है। ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक उन्होंने एक लाख रुपये के निवेश से 5 साल में 325 करोड़ रुपये बना लिए। यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदे समेत हर घोटाले में वाड्रा की भूमिका संदिग्ध रही हैं। वो 12 कंपनियों में डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर या मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। रॉबर्ट वाड्रा ने सारी संपत्ति प्रियंका गांधी से शादी करने के बाद अर्जित की है। गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पास 2.1 बिलियन डालर की संपदा होने का अनुमान है।

लब्बोलुआब यह है कि प्रियंका वाड्रा जो उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी जगह बनाने को बेताब हैं, अभी तक अपने इरादों में सफल नहीं हो पाई हैं। प्रियंका उत्तर प्रदेश में कांगे्रस को जमीन पर मजबूती प्रदान करने के लिए योगी सरकार के खिलाफ ट्विटर वार तो छेड़े हुए हैं,लेकिन उनको शायद इस बात का आभास ही नहीं है कि ऐसे नेताओं को जनता ज्यादा दिनों तक अहमियत नहीं देती है। कभी ऐसे ही ओछे हथकंडे अपना कर राहुल गांधी ने भी यूपी में कांगे्रस की वापसी के सपने देखे थे, जैसे आजकल प्रियंका देख रही हैं। अच्छा यह होगा की गांधी परिवार इधर-उधर की बात और सियासत करने की बजाए सीधे-सीधे जनता से जुड़े,वर्ना तो कांग्रेस गढ्डे में जा ही रही है। जनता उन्हीं को गले लगाती है जो पूरी ईमानदारी के साथ उसके साथ खड़े रहते है। सियासत यूपी में और ठिकाना हरियाणा में बनाकर प्रियंका ने अपनी सोच के ऊपर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।

रिपोर्ट-अजय कुमार

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