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डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के मिलेनियम फेलोज द्वारा यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम केंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल एकेडमिक इंपैक्ट को भेजी गई प्रोजेक्ट “शिक्षणम” की रिपोर्ट, सामने आए ये प्रमुख बिंदु

लखनऊ। आशियाना स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के 2 से 3 किलोमीटर रेंज में बसी रिक्शा कॉलोनी समेत अन्य आसपास के क्षेत्रों में रह रहे गरीब बच्चे, जो अपेक्षित संसाधनों के कारण सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में दाखिला लेने के बावजूद भी स्कूल नहीं जाते क्योंकि उन्हें शिक्षा दीक्षा के महत्व का आभास ही नहीं है। करीब 40 से 50 बच्चों द्वारा सामूहिक चर्चा के उपरांत यह बात सामने आती है कि, ज्यादातर प्राथमिक विद्यालय जिनमें इन बच्चों के दाखिले हैं वो या तो मलिहाबाद या उन्नाव या अन्य सुदूर क्षेत्रों में स्थित है। माना जा सकता है कि अपेक्षित आर्थिक सहायता एवं स्थानीय ट्रांसपोर्ट न उपलब्ध होने के कारण यह बच्चे स्कूल नहीं जाते। पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि की भी जानकारी का अभाव है।

मिलेनियम फैलोशिप प्राप्त करने वाले हेरंब, जोकि इस प्रॉजेक्ट के कैंपस डायरेक्टर भी हैं, बताते हैं कि, “यह गरीब बच्चे आशियाना स्थित आसपास के चर्च , घरों आदि में झाड़ू, पोछा, बर्तन, साफ-सफाई आदि के काम करते हैं, एवं अपने परिवार को आर्थिक मदद करते हैं। इनके परिवार 13 से 14 साल की उम्र तक इनसे आर्थिक सहायता की अपेक्षा करता है।”

वही मिलेनियम फैलोशिप प्राप्त करने वाली छात्रा एवं कैंपस डायरेक्टर दिव्या मान का कहना है कि “इन परिवारों की महिलाएं अपने बच्चे को स्कूल भेजने में रुचि दिखाती हैं, वे चाहती हैं कि इन्हें पास में ही शिक्षा स्रोत उपलब्ध हो, और जब भी 25 सदस्य की इस मिलेनियम फेलोज की टीम ने कक्षाएं आयोजित की तो इन महिलाओं ने उन्हें पूर्ण सपोर्ट किया एवं उनके बच्चों के लिए कक्षाएं आयोजित कर घरेलू पाठशाला को चलाने के लिए सराहना भी की”।

एक अन्य छात्र सत्यम शिवम बताते हैं कि,“उन्होंने कक्षा 5 तक में पढ़ने वाले इन बच्चों के लिए एक आवश्यक पाठ्यक्रम भी तैयार किया, जहां पर अंग्रेजी, हिंदी और तत्संबंधी अनुवादित विषयों द्वारा गणित, विज्ञान और भाषा के प्रति जागरूकता की”। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का ऐसा अकेला राष्ट्रीय संस्थान उभर कर आया है, जहां के छात्रों को लगातार दूसरी बार यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम केंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल एकेडमिक इंपैक्ट द्वारा मिलेनियम फैलोशिप मिली है। मिलेनियम फैलोशिप 2021 और 2022 को हासिल करने वाला वाले इस विश्वविद्यालय ने सतत विकास के लक्ष्यों पर विश्व विद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह के निर्देशन में महती कार्य किया है।

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बता दें कि डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के 25 छात्रों को यूनाइटेड नेशंस की मिलेनियम फैलोशिप 2022 मिली जिसके तहत इन्होंने “शिक्षणम” प्रोजेक्ट पर काम किया।18 नवंबर को इन छात्रों की हुई थी ग्रेजुएशन सेरिमनी जहां इन्होने अपने महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्राप्त किए सर्टिफिकेट। कुलपति प्रो भटनागर ने इस पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इन मिलेनियम फेलोज द्वारा शिक्षा के आदान प्रदान की एक रुचिकर पहल भी की गई है।

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम फैलोशिप 2022 के चयनित 25 छात्रों ने सतत विकास के लक्ष्यों में उल्लेखित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा यानी चौथे लक्ष्य के तहत जमीनी स्तर पर स्कूली शिक्षा को ध्यान में रखकर महती कार्य किए। उनके द्वारा उल्लेखित “शिक्षणम” प्रोजेक्ट को मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल एकेडमिक इंपैक्ट द्वारा सराहना एवं समर्थन प्राप्त हुआ। ये प्रोजेक्ट विश्व विद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह के निर्देशन में किया गया। इसके तहत #विधि_विश्वविद्यालय के इन छात्रों- दिव्या मान, हेरंब वर्मा, सत्यम शिवम, आस्था शिवहरे, अवंतिका सिंह, चित्रा गोदरा, अनुष्का सिंह, अनुष्का पोखरियाल, स्वर्णा यति, निम्मी मारिया बाबू, अविरल प्रताप सिंह, विनायक तिवारी, तानिया वर्मा, रमन सिंह चौहान, पूर्वा पुष्कर, शालिनी सिंह, लक्ष्यदीप शर्मा, लीशिका साहनी, शाश्वत सिंह, रिद्धिम गंगवार, पवन कुमार, आयुषी मिश्रा, आर्यन राघव, विदुषी माहेश्वरी एवं कार्तिकेय सिंह ने प्राइमरी अथवा स्कूली शिक्षा के गुणवत्तापरख आंकलन हेतु विश्वविद्यालय की 3 से 4 किलोमीटर की रेंज में छोटे और गरीब बच्चों जिसे शिक्षा और शिक्षण व्यवस्थाओं हेतु कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ऐसे बच्चे जो प्राथमिक विद्यालयों में एडमिशन नहीं लेते हैं, या एडमिशन लेते हैं पर दाखिले के उपरांत स्कूल नहीं जाते और साथ ही जो बच्चे पारिवारिक जीविकोपार्जन अपेक्षित संसाधनों के तहत शिक्षा से दूर हैं, उनसे विधि के इन मिलेनियम फेलोज ने शिक्षा शिक्षण संबंधी संवाद, चर्चाएं और कक्षाओं की एक सुनियोजित पाठशाला लगाई। लगभग 60 पाठशाला-कक्षाओं में विधि विश्वविद्यालय के छात्रों ने स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को देखते हुए प्रश्नोत्तरी श्रृंखला समिति का गठन किया,पठन-पाठन सामग्री तैयार की और तदोपरांत कक्षाएं आयोजित की।

प्राथमिक शिक्षा से वंचित जो गरीब बच्चे स्कूल नहीं जाते अथवा अन्य पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें शिक्षा से रूबरू कराना, शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ाना, शिक्षण हेतु रोचक पाठ्य सूची प्रस्तुत कर, उन्हें स्कूली शिक्षा हेतु एडमिशन दिलाना आदि कार्य इस प्रोजेक्ट में शामिल किए। लगभग 70  बच्चों को इस “शिक्षणम” प्रोजेक्ट का फायदा मिला, जो आज शिक्षा के महत्व को समझते देखे जा सकते हैं। विधि विश्वविद्यालय के इन 25 छात्रों ने कई प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्य से संवाद स्थापित किए , जिनमे प्रमुख रहे प्राथमिक विद्यालय बिरहाना खेड़ा, एवं प्राथमिक विद्यालय टोंड खेड़ा। स्कूली शिक्षा एवं शिक्षण की समझ और समझाने की प्रक्रिया के दौरान कुछ हद तक बच्चों के एक समूह को प्राथमिक शिक्षा हेतु आवेदन के लिए प्रेरित भी किया ।अपने प्रोजेक्ट के तहत विधि विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 55 से 60  कक्षाओं के माध्यम से उन्होंने अपेक्षित संसाधनों और आम जीवन की समस्याओं से जूझ रहे इन गरीब बच्चों के परिवारों को भी राज्य सरकार एवं भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं पर भी बात की, जागरुकता एवं सहायता प्रदान की।

उन्होंने निशुल्क शिक्षा पर बात की, पानी, बिजली आदि दैनिक समस्याओं के निवारण हेतु आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई, साइबर फ्रॉड की बात की, बैंक और पोस्ट ऑफिस हेतु आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराई, आयुष्मान भारत, निशुल्क बैंक खाता, एटीएम, ओटीपी, आदि पर भी जानकारी उपलब्ध कराई। विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो सुबीर भटनागर ने शिक्षणम प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए इसे इन छात्रों के स्वर्णिम भविष्य के रास्तों की एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस प्रॉजेक्ट की फैकल्टी एडवाइजर डॉ अलका सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट के कैंपस डायरेक्टर्स स्टूडेंट्स मेंबर्स दिव्या मान एवं हेराम्ब वर्मा एवं अन्य ने इस फैलोशिप के अन्तर्गत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं अवसरों पर कई सफलतापूर्वक कार्यशालाओं का आयोजन कर, 25 सदस्यीय टीम ने अपनी फैलोशिप पूरी की। डॉ अलका सिंह ने बताया कि यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम केंपस नेटवर्क एवं एकेडमिक ग्लोबल इंपैक्ट द्वारा इन 25 छात्रों को ग्लोबल लीडर्स की श्रेणी में शामिल करते हुए 18 नवंबर को इन्हे ऑनलाइन ग्रेजुएशन सेरिमनी में प्रतिभाग करने का मौका मिला, जहां इन्हें अपने सफल प्रोजेक्ट हेतु फेलोशिप की सर्टिफिकेट से नवाजा गया।

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