• केवट ने संपूर्ण जीवन मजूरी का फल पाने को भगवान के पैर छुए
बिधूना। विकास खंड के ग्राम मऊ गूरा गांव में स्थित प्रसिद्ध देवघट बाबा मंदिर पर में चल रही रूद्र महायज्ञ एवं नौ दिवसीय रामकथा में 6वें दिन गुरुवार को आचार्य रामजी द्विवेदी द्वारा श्रीराम और केवट सवांद का प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने केवट संवाद सुनाकर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
राम कथा आचार्य रामजी द्विवेदी ने रामकथा में केवट सवांद को सुनाते कहाकि श्रीराम 14 वर्ष का बनवास मिला सुमंत के साथ भगवान गंगा जी के तट पर पहुंचे केवट से भगवान ने नाव मांगी पर वह लाता नहीं है।
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वह कहने लगा मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है।
केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए। राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। उसके स्थान को समाज में ऊंचा करते हैं। राम की संघर्ष और विजय यात्रा में उसके दाय को बड़प्पन देते हैं। त्रेता के संपूर्ण समाज में केवट की प्रतिष्ठा करते हैं। केवट भोईवंश का था तथा मल्लाह का काम करता था। केवट प्रभु श्रीराम का अनन्य भक्त था। केवट राम राज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है। राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है।
कथा समापन के बाद मंदिर के महंत शरद विज्ञानानंद पुरी महाराज द्वारा कथा सुनने पहुंचे पूर्व चेयरमैन आदर्श मिश्रा, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि आदर्श सेंगर को माला पहनाकर व श्री राम का चित्र देकर सम्मानित कराया गया। इस मौके पर हरी चौबे, सत्यम त्रिवेदी, मंगल सिंह, अभिषेक सिंह समेत देवघट मन्दिर पुराजी सहित लोग मौजूद रहें।
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रिपोर्ट – राहुल तिवारी/संदीप राठौर चुनमुन