पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। करीब चार दशक बाद योगी आदित्यनाथ इतिहास रचने जा रहे है। कल वह दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर राम नाईक उपस्थित रहेंगे। वह दो दिन की यात्रा पर लखनऊ पहुंच रहे है। राम नाईक व योगी आदित्यनाथ के संबन्ध संवैधानिक भावना की दृष्टि से भी उल्लेखीय रहे है।
राज्यपाल संबंधित राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते है। इस रूप के राम नाईक क्रमशः दो मुख्यमंत्रियों को सार्थक सुझाव देते थे। किंतु उनके सुझावों पर योगी आदित्यनाथ ने ही किया। इलाहाबाद को उसका पुराना नाम प्रयागराज देने,उत्तर प्रदेश दिवस के आयोजन,स्वतन्त्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है,इस नारे का शताब्दी वर्ष मानने,कुष्ठ रोगियों को आवास देना,आदि सुझाव राम नाईक ने ही दिए थे। योगी आदित्यनाथ ने इन सभी का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया। इसके अनुरूप पहली बार उत्तर प्रदेश का आयोजन किया गया।
योगी आदित्यनाथ ने इसको प्रदेश के विकास से जोड़ दिया। कुष्ठ रोगियों को आवास देने का कार्य किया गया। आवास आवंटन समारोह में शामिल होने के लिए राम नाईक भी मुम्बई से आये थे। कुछ माह पहले योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में कर्मयोगी राम नाईक पत्रिका का लोकार्पण किया था।
उस समारोह में राम नाईक भी उपस्थित थे। उस अवधि में उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के बीच सांस्कृतिक संबन्ध बेहतर हुए थे। राजभवन में महाराष्ट्र दिवस आयोजित किया गया था। योगी आदित्यनाथ ने स्वयं दूरभाष कर राम नाईक को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था। राम नाईक ने उनके आमंत्रण को स्वीकार किया। वह पच्चीस मार्च को हो रहे शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहेंगे।
राम नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश के नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना उनके लिए अलग अनुभव की तरह होगा। पांच वर्ष पहले उन्होंने योगी आदित्यनाथ को शपथ दिलाई थी,अब के शपथ ग्रहण में वह अतिथि के रुप में उपस्थित रहेंगे। राम नाईक ने विश्वास व्यक्त किया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नई मंत्रिपरिषद उत्तर प्रदेश के विकास हेतु ऐतिहासिक कार्य अविरत चलता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने चरैवेति! चरैवेति! सन्देश के साथ योगी आदित्यनाथ को शुभकामना प्रेषित की। राम नाईक की पुस्तक चरैवेति चरैवेति के एक संस्करण का लोकर्पण योगी आदित्यनाथ ने किया था।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री