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तीन वर्षीय लक्ष्मी के लिए वरदान साबित हुआ आरबीएसके

• जन्मजात हृदय रोग का हुआ निःशुल्क इलाज

• विशेषज्ञ चिकित्सकों के नेतृत्व में दो घंटे तक चली सर्जरी

वाराणसी। जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) जन्मजात बीमारियों से निजात दिलाने में वरदान साबित हो रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि सोमवार को हरहुआ निवासी लख्खी की तीन वर्षीय पुत्री लक्ष्मी काजन्मजात हृदय रोग (कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज) का निःशुल्क इलाज चिन्हित अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज में सफलतापूर्वक पूरा हुआ।

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चिकित्सकों की टीम ने लक्ष्मी की सर्जरी के लिए करीब दो घंटे का समय लिया। लक्ष्मी के पिता लख्खी बहुत दिनों से अपनी बेटी की बीमारी और उसके इलाज को लेकर परेशान थे। आर्थिक तंगी से वह इसका खर्च नहीं उठा पा रहे थे। लेकिन अब जब उसका इलाज हो चुका है तो बहुत खुश हैं। उन्होने सीएमओ, एसीएमओ सहित अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज की चिकित्सकों सहित आरबीएसके हरहुआ टीम को धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।

आरबीएसके

सीएमओ ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत 40 बीमारियों व जन्मजात विकृतियों के लिए निःशुल्क इलाज के लिए दी जा रही सेवाओं में से सीएचडी के लिए यह इस साल की पहली उपलब्धि है जिसका सफल इलाज हो चुका है। इसी तरह के पाँच बच्चों का इलाज प्रक्रिया में हैं जो जल्द ही पूरी जाएगी।

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आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने बताया कि करीब चार माह पूर्व आरबीएसके हरहुआ की टीम ने लमही के मढ़वा आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की स्क्रीनिंग के दौरान लक्ष्मी को हृदय रोग (सीएचडी) के लिए चिन्हित किया गया था। इसके बाद शासन की ओर से सीएचडी के ऑपरेशन के लिए चिन्हित अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज से निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति ली। सोमवार को लक्ष्मी के निःशुल्क ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी हुई।

आरबीएसके

इसके अलावा पाँच बच्चों के इलाज की प्रक्रिया जारी है जो शीघ्र ही पूरी हो जाएगी। डॉ मौर्य ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत विभिन्न जन्मजात दोषों का चिन्हीकरण करके जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों केउपचार के लिए सरकार द्वारा गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। जन्मजात दोषों में जन्मजात हृदय रोग हृदय का एक गंभीर जन्मजात दोष है।

सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि आरबीएसके योजना केअंतर्गत निःशुल्क किया जाता है। आरबीएसके के अंतर्गत जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में 16 टीमें कार्यरत हैंजो प्रत्येक गाँव में विजिट कर जन्मजात दोषों की पहचान करती हैं एवं उनके उपचार के लिए प्रयास करती है।

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डॉ मौर्य ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण हाथ, पैर, जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवं खेल-कूद में जल्दी थक जाना दिखते हैं। डॉ मौर्य बताते है कि इस जन्मजात दोषों से बच्चों को बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान बेहद ध्यान देना चाहिए।

आरबीएसके

गर्भावस्था के चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन प्रसव तक आयरन फोलिक एसिड की गोली खिलाई जानी चाहिए। इसके साथ ही स्वस्थ व संगुलित खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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