मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिर गई है। सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वहीं दूसरी ओर कमलनाथ सरकार गिरने के बाद इस्तीफा दे चुके 22 बागी विधायकों ने शनिवार को कर्नाटक का रिसॉर्ट छोड़ दिया। सूत्र ने बताया कि 12 दिन रिसॉर्ट में रहने के बाद ये लोग आज भोपाल जाएंगे। हालांकि सभी पूर्व बागियों को शुक्रवार दोपहर को इस्तीफा होने के बाद बेंगलुरु छोड़ना था, लेकिन शायद वे अपने ‘नेता’ (ज्योतिरादित्य सिंधिया) के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे थे। बता दें कि ये सारे बागी विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे से पहले ही मध्यप्रदेश छोड़ दिया था।
वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को कमलनाथ ने कहा कि भाजपा पहले दिन से उनकी सरकार के खिलाफ साजिश में जुटी थी। इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस आलाकमान की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता ही पार्टी आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश मामले पर अपेक्षित ध्यान न दिए जाने पर नाराज हैं। कांग्रेस के कई नेताओं का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व द्वारा सरकार बचाने के लिए आक्रामक रुख नहीं अपनाया गया। मध्य प्रदेश में छाए सियासी संकट के दौरान कांग्रेस द्वारा अपने वरिष्ठ नेताओं जैसे गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी और अहमद पटेल को भोपाल क्यों नहीं भेजा गया? क्या मध्य प्रदेश के हालात को लेकर दिल्ली में पार्टी नेताओं की कोई बैठक हुई?
जब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से ये सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि “केन्द्रीय नेतृत्व की सोच थी कि दो दिग्गज नेता वहां हैं और वो स्थिति को नियंत्रित कर लेंगे। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि दिल्ली में इसे लेकर कोई मीटिंग हुई।”
कमलनाथ ने कहा, ‘‘किस प्रकार करोड़ों रुपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया जनता द्वारा नकारे गए एक तथाकथित महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप ‘महाराज’ (ज्योतिरादित्य सिंधिया) और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रच लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की। इसकी सच्चाई थोड़े ही समय में सभी के सामने आएगी।’’
मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भाजपा में सरकार बनाने के लिए चल रही सरगर्मी के बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रदेश के अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों की तर्ज पर किसी अप्रत्याशित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाएगी या पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अथवा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेताओं में से किसी एक को कमान सौंपेगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी आलाकमान ही इसका फैसला लेगी और बाद में विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी।