हिंदुत्व एक जीवन पद्धति है। इसको जीवन में धारण किया जाता है। अभिवादन के लिए नमस्ते और भजन के समय ताली बजाना भी जीवन पद्धति के ही अंग है। करोना से बचाव हेतु पहली बात यही कही गई कि लोग अभिवादन के लिए हाँथ मिलना बंद करें। इधर भारतीय प्रधानमंत्री ने इसकी अपील की,उधर अनेक देशों ने नमस्ते को अभियान रूप में मान्यता प्रदान कर दी।
अमेरिका सहित प्रायः सभी पश्चिमी देशों में यह अभियान का स्वरूप ले चुका है। इन देशों के शासक स्वयं नमस्ते के ब्रांड अम्बेसडर बन गए है। नमस्ते के माध्यम से ये लोग आमने नागरिकों से इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आज पूरी दुनिया नमस्ते कर रही है। सभी लोगों को हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने की आदत डालनी चाहिये। यह बात उन्होने करोना के संदर्भ में कही थी।
सरकार इससे निपटने हेतु जो प्रयास कर रही है उसमें यह भी महत्वपूर्ण है। सरकार प्रत्येक नागरिक को बीमारी से कैसे बचाना चाहती है। इसी के साथ पीड़ित व्यक्ति की इलाज व्यवस्था व मिशन मोड पर काम चल रहा है। प्रायः सभी यूरोपीय देशों के साथ ही अमेरिका चीन,ब्राजील,ईरान न्यूजीलैंड,ऑस्ट्रेलिया आदि ने अपने नागरिकों को हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने का निर्देश दिया है। मोदी ने अपनी प्राचीन संस्कृति पर अमल की सलाह दी है। जिसमें हाँथ मिलाने का चलन नहीं था। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से कहा गया कि हमारे पूर्वज दूरदर्शी थे। उन्होने नमस्कार का अविष्कार किया। इस का पालन करना चाहिए।
विश्व के दिग्गज नेता नमस्कार को स्वयं प्रोत्साहन दे रहे है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युअल मैक्रोन ने स्पेन के राजा और रानी से हाँथ मिलाने की जगह नमस्कार किया। उन्होने भी नमस्ते से जबाब दिया। इसके पहले यूरोपीय स्वास्थ्य ऑथरिटी ने भी लोगों से हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने की अपील की थी। इसकी मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया कि कारोना वायरस त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है। ऐसे में हाँथ मिलाना खतरनाक है।
फ्रांस के एक मंत्री को हाँथ मिलाना भारी पड़ा था,वह इस के कारण ही कारोना की गिरफ्त में आ गए थे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी नरेंद्र मोदी के विचार से प्रभावित हुए। उन्होंने भी अपने देशवासियों से भारतीय पारंपरिक सत्कार के तरीके को अपनाने की सलाह दी है। उन्होने इसकी शुरुआत स्वयं से की है। वह लोगों का अभिवादन नमस्ते से ही कर रहे है। नेतन्याहू के नमस्ते करते हुए की फोटो इंडिया इन इजरायल ने ट्वीट किया है। यह भारी संख्या में रीट्वीट हो रहा है। ब्रिटेन में भी नमस्ते को अभियान रूप में प्रसारित किया जा रहा है। प्रिंस चार्ल्स ने स्वयं नमस्ते को अपना लिया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भी नमस्ते को प्रोत्साहन दे रहे है।
अमेरिका में मोदी के जनता कर्फ्यू के विचार को अद्भुत बताया जा रहा है। नमस्ते और जनता कर्फ्यू दोनों को प्रशंसनीय कहा गया। तीन दशक से संचारी रोगों पर शोध करने वाली संस्था ने इन तरीकों को वैज्ञानिक करार दिया है। गौरतलब है कि इस संस्था का वैज्ञानिकों ने नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम सन्देश पर व्यापक विचार विमर्श किया गया।
इन सभी ने ऐसा जनता कर्फ्यू कोरोना वायरस के फैलने से रोकने का प्रभावी उपाय हैं। क्योंकि कोविड नाइन्टीन मानव शरीर के बाहर किसी भी सरफेश पर बारह घण्टे से अधिक जीवित नहीं रहता है। यह भी कहा गया कि वर्षों के शोध के बाद जो बात वैज्ञानिक नहीं समझ सके, उसे नरेन्द्र मोदी सामने लेकर आ गए। ऐसा कार्य विलक्षण व्यक्ति ही कर सकता है।
रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री