नैनीताल का घूमने फिरने के अलावा धार्मिक रूप से भी काफी महत्व है। नैनीताल की नैना झील और नैना देवी Naina Devi मंदिर धार्मिक रूप से काफी पवित्र हैं। स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर भी कहा गया है। नैनी झील कैसे बनी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यहां के लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील में बारे में कहा जाता है यहाँ डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।
Naina Devi मंदिर
नैना झील के किनारे एक मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। ये मंदिर नैना देवी Naina Devi मंदिर के नाम से दुनिया में मशहूर है। नैना देवी मंदिर के दर्शन के लिए दूर- दराज से लोग आते हैं। नैना देवी के इस मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई भक्त आंखों की समस्या से परेशान हैं तो अगर वह नैना मां के दर्शन कर ले तो जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसके अलावा यहां तमाम भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं।
1880 में नैनीताल में भयानक भूस्खलन आया था। इस आपदा में नैना देवी मां का मंदिर नष्ट हो गया था। इस हादसे के बाद मंदिर को फिर से बनवाया गया है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। इन नेत्र के दर्शन मात्र से मां का आशीर्वाद मिलता हैं। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का एक बड़ा और घना पेड़ है।
यहां माता पार्वती को नंदा देवी कहा जाता है। मंदिर में नंदा अष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि 8 दिनों तक चलता है। यह मंदिर नैनीताल मुख्य बस स्टैंड से केवल 2 किमी की दूरी पर बना हुआ है। मंदिर परिसर में मां को चढ़ाने के लिए पूजा सामग्री मिल जाती है। नैनीताल आने वाले पर्यटक भी मंदिर की मान्यताओं को सुनकर मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।