पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगातार बढ़ने के चलते आम लोगों को मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों को अपनी गाड़ियों के टैंक फुल कराने में पसीने छूट रहे हैं. देश में पेट्रोल की कीमत जहां 100 रुपये के पार चली गई है तो वहीं दूसरी तरफ डीजल के दाम कई शहरों में 90 रुपये के आसपास पहुंच गया है.
इस बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने केन्द्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पेट्रोल-डीजल पर इंडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) में कटौती की जाए, जिससे कीमतों को घटाया जा सके. शक्तिकांत दास ने ये बातें 3 से 5 फरवरी के बीच हुई एमपीसी की बैठक में कही. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि तेल के ऊपर से टैक्स को धीरे-धीरे कम करना जरूरी है ताकि कीमतों का दबाव हटाया जा सके.
केन्द्र और राज्य सरकारों की तरफ से पेट्रोल की कीमत का करीब 60 फीसदी से ज्यादा पेट्रोल पर टैक्स लगाया जाता है जबकि डीजल पर 54 फीसदी है. देश में तेल कंपनियों की तरफ से इंटरनेशनल बेंचमार्क कीमतें और फॉरेन एक्सचेंज रेट्स के हिसाब से रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं.
एक तरफ जहां मेघालय, राजस्थान, असम और चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल ने तेल की कीमतों पर टैक्स को कम किया है तो वहीं पिछले दो महीने के दौरान अप्रत्याशित बढ़ोतरी के बावजूद केन्द्र ने तेल की कीमतों पर एक्साइज ड्यूटी कम करने से इनकार कर दिया है.
यहां पर यह गौर करने वाली चीज ये है कि जब मार्च 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा था और कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था, उस समय केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया था.