बिहार में जन आकांक्षा के अनुरूप सरकार ने पदभार ग्रहण किया। घटक दलों ने गठबंधन धर्म की मर्यादा का पालन किया। नीतीश कुमार ने कहा कि जेडीयू का सँख्याबल कम है। इसलिए मुख्यमंत्री भाजपा का होना चाहिए। भाजपा ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव हुआ। इसलिए वही मुख्यमंत्री बनेंगे। दोनों तरफ से मर्यादा के अनुरूप आचरण किया गया।
इसके विपरीत महागठबन्धन की प्रतिक्रिया दिलचस्प रही। तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के शिवानन्द तिवारी ने विरोधाभाषी बयान दिए। तेजस्वी यादव ने शिष्टाचार का भी पालन नहीं किया। उन्होंने बहिष्कार किया। कहा कि एनडीए बेमानी से जीती है। दूसरी तरफ उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा शिवानन्द तिवारी ने कहा कि राहुल गांधी की वजह से पराजय हुई। वह चुनाव के समय पिकनिक मना रहे थे।
इस प्रकार शिवानन्द तिवारी ने महागठबन्धन की पराजय का कारण बता दिया। भला हो चिराग पासवान का,जिनकी वजह से महागठबन्धन की सीटें बढ़ गया। अन्यथा एनडीए को एक सौ सत्तर से अधिक सीट मिलती। शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में चुनावी सरगर्मी थी। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में भाजपा जदयू जैसी मजबूत पार्टियों की संयुक्त ताकत के खिलाफ लड़ाई थी। राहुल गांधी शिमला में बहन प्रियंका वाड्रा के घर पिकनिक मना रहे थे।
कांग्रेस बिहार में सत्तर सीटों पर चुनाव लड़ रही थी,लेकिन वह सत्तर जनसभाएं भी नहीं कर सकी। यहां तक कि राहुल गांधी ने भी सिर्फ चार सभाएं की। ऐसा सिर्फ बिहार नहीं,अन्य राज्यों में भी हुआ है। कांग्रेस को मंथन करना चाहिए। वैसे मंथन की आवश्यकता आरजेडी को भी है। वह भी परिवारवाद से ग्रस्त है। अपने अतीत से मुक्ति का विशवास तेजस्वी भी नहीं दिला सके।
उप मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें इस नकारात्मक छवि से छुटकारे का अवसर मिला था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके। ईवीएम को दोष देना हास्यास्पद है। यदि ऐसा होता तो उन्हें इतनी सीटें नहीं मिलती। महागठबंधन के समारोह के बहिष्कार पर हम प्रवक्ता डॉ.दानिश रिजवान का बयान दिलचस्प है। उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव राजपरिवार के लोग हैं। वह हमेशा जनमत का विरोध करते रहे हैं। यदि राजद को जनमत सही नहीं लग रहा है,तो तेजस्वी यादव को ऐलान करना चाहिए कि वो ना तो विधायक पद की शपथ लेंगे और ना ही कोई नेता प्रतिपक्ष बनेगा।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री