लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने उप्र सरकार द्वारा आलू का समर्थन मूल्य 650 रुपये प्रति कुन्तल घोषित करने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इस निर्णय को किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसे बताया। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से कर्जे में डूब रहे किसानों को बचाने की मांग करते हुए कहा है कि कड़ी मेहनत और पसीने से उगाया गया किसान का आलू मिट्टी में मिल रहा है।
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आज जारी बयान में श्री दुबे ने कहा कि प्रदेश सरकार ने जो आलू का समर्थन मूल्य घोषित किया है वह ऊँट के मुंह में जीरे के समान है। सवाल यह है कि किसान के आलू की लागत 1100 रुपये प्रति कुन्तल आ रही है और सरकार ने 650 रुपये प्रति कुंतल का रेट घोषित किया है। ऐसे में किसान अपने आलू की बिक्री कैसे करें? उन्होंने कहा कि आलू की पैदावार को देखते हुए राज्य सरकार को आलू के निर्यात करने का निर्णय लेना चाहिए क्योंकि अगर किसानों की फसल का उचित मूल्य नहीं मिला तो किसान सालों तक कर्जे से मुक्त नहीं हो पायेंगे।
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श्री दुबे ने कहा कि अभी तो किसान आलू की मांग को लेकर परेशान है और शीतगृह का भाड़ा 260 रुपये प्रति कुन्तल करने की सिफारिश हो रही है जो किसानों की बर्बादी के लिए एक और बड़ा कदम होगा। उन्होंने राज्य सरकार से आलू की खेती को प्रोत्साहन देने तथा आगरा में आलू निर्यात केन्द्र की स्थापना करने तथा आलू किसानों के लिए विशेष सहायता राशि घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि जल्द ही सरकार द्वारा निर्णय नहीं लिया गया तो किसानों को अपना आलू सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर होना पडे़गा।