आज मीना और राधा ने शहर कॉलेज में एडमिशन लिया, दोनों बहुत ख़ुश थी, दोनों बचपन से ही गांव में एक साथ ही पली बड़ी और पढ़ी थी, दोनों के सपने भी एक जैसे ही थे, कॉलेज में प्रोफेसर बनने के, दोनों पढ़ाई लिखाई में भी होशियार थी, वह दोनों ही मोबाइल से ज्यादा नाता नहीं रखती, जितनी जरूरत होती उतनी ही मोबाइल चलाती, जब वह शहर आई तो पहले उन्होंने कॉलेज कैंपस में हॉस्टल में रूम देखा किन्तु नहीं मिला, मीना बोली- “अब क्या करें ?”
राधा बोली- “कॉलेज के आसपास कॉलोनी में देखते है, मीना बोली- “यही करना पड़ेगा” ! वरना कैसे रहेंगे ?, कैसे पढ़ेंगे?, उन दोनों ने कॉलेज के पास कॉलोनी में कमरा देखना शुरू कर दिया। कई जगह देखा किन्तु कहीं पसंद नहीं आया तो कहीं बिलकुल मना कर दिया।
मीना बोली – “अरे यार! ऐसे कैसे चलेगा”, अब अगर कोई मना करता है, तो पूछेंगे आखिर क्यों नहीं दे रहे हो, दूसरे दिन फिर वह रूम देखने गई, एक बड़ा सा घर दिखा, जिस पर एक छोटा सा बोर्ड लगा हुआ था, जिस पर लिखा था, ‘मकान किराये से देना है’, यह देख राधा मीना खुश हो गई, “है भगवान! धन्यवाद तूने सुन ली, अब हम कॉलेज रेगुलर जा सकेंगे।
राधा ने गेट पर लगी डोर बेल बजाई, अंदर से आंटी ने दरवाजा खोला और उन दोनों को अंदर बुलाया, राधा मीना मुस्कुराते हुए नमस्ते बोली, फिर पूछा आंटी हमें किराये से कमरा चाहिए, बाहर बोर्ड लगा हुआ देखा, आंटी ने पहले पूछा- “कौन कौन रहेगा रूम में”, मीना बोली- “हम दोनों ही..,” आंटी बड़ी हिकारत वाली नज़रो से देखते हुए बोली, “फिर तो नहीं मिलेगा”! मीना ने पूछा – क्यों? -हम गंदगी नहीं फैलाना चाहतें हमारे घर में!, राधा बोली -“आंटी हम रूम साफ रखेंगे”, आंटी बोली- मेरा मतलब सफाई से नहीं,
मीना बोली- “फिर ! “लेस्बियन” को हम रूम नहीं देते.,! मीना और राधा एक दूसरे का मुंह देखने लगी…, राधा बोली – आंटी हम…. वैसे नहीं..!, उसके पहले ही आंटी ने दरवाजा मुंह पर बंद कर दिया, दोनों उदास गई ! राधा बोली- “यार.., आज यह मुहावरा याद आ गया”, मीना ने पूछा – कौनसा ? “एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है”